साभार: जागरण समाचार
गुरमीत को दोषी करार दिए जाने के बाद भगाने के लिए समर्थकों ने नहीं, बल्कि जेड सुरक्षा में तैनात कमांडोज ने पूरी प्लानिंग रची थी। पुलिस रिमांड पर चल रहे कर्मजीत सिंह के कबूलनामे के बाद एसआइटी ने तीन और
कमांडोज को गिरफ्तार कर लिया है। ये तीनों भी पूरी साजिश के हिस्सा थे। कर्मजीत सिंह इस प्लानिंग का सरगना था जिसने जेड सिक्योरिटी में शामिल कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी कि किस तरह राम रहीम को कोर्ट परिसर से लेकर भागना है। हरियाणा एवं पंजाब पुलिस के 12 कमांडोज को अब तक पुलिस पकड़ चुकी है। रिमांड पर कर्मजीत सिंह ने बताया है कि उसने ही पूरी प्लानिंग तैयार की थी। प्लानिंग के तहत ही वह भी बाकी कमांडोज के साथ 25 अगस्त को पंचकूला सीबीआइ अदालत में पेशी के लिए राम रहीम के साथ आया था।
कमांडो ही जानते थे गुरमीत को कैसे भगाना है: गुरमीत को किस तरह भगाना है, इसकी जानकारी केवल कमांडो, हनीप्रीत और गुरमीत को ही थी। डॉ. आदित्य के कंधों पर शहर में आग लगाने की जिम्मेदारी थी। आगजनी करवाने का मकसद पुलिस का ध्यान भटकाना था, ताकि पुलिस उपद्रवियों पर काबू पाने में जुट जाए और मौका पाते ही कमांडो गुरमीत को कोर्ट से भगाकर ले जाएं।
हनीप्रीत ने आदित्य को दी थी दोषी होने की जानकारी: प्लानिंग के अनुसार आदित्य एवं उसके समर्थकों को भीड़ के बीच भेज दिया गया था। हनीप्रीत ने आदित्य को राम रहीम को दोषी ठहराने की जानकारी दी, जिसके बाद आदित्य ने दान सिंह, चमकौर व गोविंद को निर्देश दिया कि अपना तांडव शुरू कर दो।
टोकने पर आइजी को मार दिया था थप्पड़: उपद्रव शुरू होते ही सभी पुलिस अधिकारी कोर्ट परिसर में सतर्क हो गए थे। इसके बाद कमांडो ने गुरमीत को जबरन अपनी गाड़ियों में बैठाने की कोशिश की। गुरमीत को जैसे ही गाड़ी बैठाने लगे तो एक आइजी ने रोका। इस पर कमांडो ने आइजी को थप्पड़ मार दिया था। कर्मजीत के कबूलनामे के बाद एसीपी सुमेर सिंह के नेतृत्व वाली एसआइटी ने जेड सिक्योरिटी में तैनात हरियाणा आम्र्ड पुलिस मधुबन के तीन जवानों कांस्टेबल राजेश कुमार, हेडकांस्टेबल अमित और हेडकांस्टेबल राजेश को एफआरआइ नंबर 336 के तहत नोटिस देकर पेश होने के लिए कहा था। तीनों एसआइटी के समक्ष पेश हुए तो पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।