Tuesday, October 10, 2017

मैनेजमेंट फंडा: शहर में हैं तो वर्चुअल, गांव में कोऑपरेटिव हो जाएं

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
साभार: भास्कर समाचार
ग्रामीण इलाको में कोऑपरेटिव हो जाएं: पिछले साल तमिलनाडु के त्रिची, थेनी और तूतीकोरिन जैसे सूखे जिलों, जिन्हें राज्य में नमक्कल ब्लॉक कहते हैं, में जब मोटे अनाज के एक हजार किसान मुनाफा नहीं कमा
पाए तो उन्होंने एक प्रोड्‌यूसर ग्रुप बना लिया। तीन भिन्न जिलों के किसानों को 'टीएन बनाना प्रोड्य्ूसर कंपनी' की एक छत के नीचे लाना आसान नहीं था। वे सिर्फ अपनी उपज की ग्रेडिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग का ध्यान रखते हैं बल्कि एक आटा मिल भी चलाते हैं ताकि अनाज को पीसकर आधुनिक शहरों तक पहुंचाया जा सके। 
आश्चर्य नहीं कि थंजावुर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फू़ड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी में सामूहिक खेती में प्रशिक्षित ये किसान आज अपने 100 से ज्यादा मोटे अनाज के वैल्यू एडेड प्रोड्क्ट चेन्नई, बेंगलुरू, कोयम्बटूर और सलेम के घरों में पहुंचाने में कामयाब हो गए, जो उनके जिलों से 600 किमी दूर स्थित हैं। अब यह समूह बायो प्रोसेसिंग यूनिट के लिए सरकारी सब्सिडी लेने के प्रयास कर रहा है। 2014 में स्थापित 13 किसानों की सहयोगी इकाई 'थोट्‌टीयम बनाना ग्रोअर्स ग्रुप' ने एक जर्मन कंपनी से सोलर ड्रायर खरीदने के लिए राज्य सरकार से 50 फीसदी सब्सिडी हासिल की है। ग्रुप हर माह दुबई और खाड़ी के देशों को एक टन डिहाइड्रेटेड केले निर्यात कर 20 फीसदी मुनाफा कमा रहा है। तमिलनाडु में 81.81 लाख खेती की जमीनों में से जहां खेती हो रही है उसकी 92 फीसदी जमीनें छोटे और सीमांत किसानों के पास है। कर्ज जुटाने, नवीनतम टेक्नोलॉजी अपनाने और अपनी उपज में वैल्यू एड करने की उनकी क्षमता सीमित है। ग्रुप के सदस्यों को फसलों की सामूहिक प्लानिंग, खेती में लगने वाली चीजों की सामूहिक खरीद करनी होती है और खेतिहर मजदूरों में साझेदारी करने के अलावा उपज को इकट्‌ठा कर सामूहिक रूप से उसे बेचना होता है। 
शहरी इलाकों में वर्चुअल हो जाएं: चेन्नईके पियानो टीचर अानंद एमैन्यूएल जॉन लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज के ग्रेजुएट हैं। वे वर्चुअल टीचर हैं उन्हें यह सुविधा है कि वे अपना नियमित काम करें और फुर्सत में म्युजिक लेसन तैयार कर लें। चेन्नई के ही फ्रीलांस टीचर और वॉइस ट्रेनर प्रसाद श्री से पड़ोस के बच्चों ने टीवी रिअलिटी शो में भाग लेने के लिए मदद मांगी। बच्चों को वे फेसबुक और वॉट्सएप पर मिल जाते हैं। 
शंकर महादेवन की 'प्रतिभा म्युज़िक अकादमी' और 'विद्या सुब्रह्मण्यम ऑनलाइन' पर सेवा देकर आनंद जैसे प्रशिक्षक 20 से 40 डॉलर (1200 से 2500 रुपए) प्रति घंटा कमा लेते हैं। यदि किसी छात्र को ठीक ढंग से प्रशिक्षिण देना हो तो उसे चार से आठ घंटे ट्रेनिंग की जरूरत होती है। ऊपर बताए ऑनलाइन ट्यूटर जैसे लोग प्रति छात्र 5,200 से 10 हजार रुपए तक कमा लेते हैं और 10 छात्र हों तो कमाई एक लाख रुपए प्रति माह से ऊपर जा सकती है। यही वजह है कि जॉन जैसे जो ट्यूटर 20 छात्रों के समूह को सिखाते थे अब ऑलाइन पर सिर्फ 10 छात्रों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिनसे वे प्रतिघंटे के हिसाब से फीस लेते हैं। व्यक्तिगत ऑनलाइन प्रशिक्षण से उनके जैसे टीचर को प्रतिभा पहचानने का मौका भी मिल जाता है। संगीत में बढ़ती रुचि के साथ ऑनलाइन अकादमियां हिंदुस्तानी, पश्चिमी, कर्नाटक संगीत और फिल्मी गीतों के शौकिनों को सुगम संगीत तथा टीवी शो की स्पर्धा मेें उतरने वाले बच्चों को अलग कोर्स देकर अधिक श्रेणियों भिन्न आयुवर्गों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। 
फंडा यह है कि ग्रामीण इलाकों में कोऑपरेटिव और शहरी इलाकों में वर्चुअल तरीका आंत्रप्रेन्योर का नया सक्सेस फॉर्मूला हैैं।