Saturday, June 1, 2019

करोड़ों के पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति घोटाले की विजिलेंस जांच: CM ने दिया स्पेशल टीम गठित करने का निर्देश

साभार: जागरण समाचार  
हरियाणा में अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शुरू पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले की विजिलेंस जांच होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य
सतर्कता ब्यूरो (विजिलेंस) के महानिदेशक को स्पेशल जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग की प्रधान सचिव नीरजा शेखर को तुरंत प्रभाव से संबंधित सारा रिकॉर्ड स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सौंपने की हिदायत दी गई है। सतर्कता विभाग के महानिदेशक हर पखवाड़े जांच की प्रगति रिपोर्ट से मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे।
मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने शुक्रवार को इस संबंध में लिखित आदेश जारी कर दिए। जरूरत पड़ने पर राज्य सतर्कता ब्यूरो को रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच के लिए सीआइडी की मदद लेने की छूट दी गई है। सतर्कता ब्यूरो को स्पष्ट निर्देश है कि घोटाले की तेजी से जांच की जाए ताकि दोषियों को सख्त सजा दिलाई जा सके। हरियाणा में अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के रैकेट ने छात्र-छात्रओं के आधार नंबर बदलकर छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम दिया है। हिमाचल प्रदेश में करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले के तार हरियाणा से जुड़े हैं। सोनीपत में भी 352 छात्र-छात्रओं के लिए स्वीकृत साढ़े तीन करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला उजागर हो चुका है। विभाग की चार सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के महानिदेशक संजीव वर्मा ने पांच कर्मचारियों को निलंबित करते हुए दो अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पूरे मामले की विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी। करीब एक महीने तक चंडीगढ़ पुलिस इस मामले में केस दर्ज करने में आनाकानी करती रही, लेकिन आइएएस अधिकारी संजीव वर्मा के अनशन पर बैठने की चेतावनी के बाद एफआइआर दर्ज की गई। हरियाणा विधानसभा की पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था, लेकिन पीएसी सिर्फ 2016 तक छात्रवृत्ति घोटाले की सीबीआइ जांच को तैयार हुई थी, लेकिन विभाग के महानिदेशक चाहते थे कि 2019 तक के मामलों को जांच के दायरे में लाया जाए।
पोस्ट मैटिक छात्रवृत्ति योजना में हरियाणा में पिछले तीन साल में 236 करोड़ रुपये जारी हुए हैं। राज्य में छात्रों के आधार नंबर बदलकर छात्रवृत्ति में घोटाले का खेल लंबे समय से खेला जा रहा है।
इन कर्मचारियों व अफसरों पर निलंबन की गाज: अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के डाटा एंट्री आपरेटर मुख्यालय कुलजीत सिंह, हेड आफिस के लिपिक संजीव कुमार, सहायक रामधारी, सहायक बिलेंद्र सिंह और अकाउंटेंट कम क्लर्क सुरेंद्र कुमार निलंबित चल रहे हैं। उप निदेशक कम डीडीओ अनिल कुमार और उप निदेशक (ट्रेनिंग) आरएस सांगवान के विरुद्ध सरकार से कार्रवाई की सिफारिश की गई।
ऐसे हुआ छात्रवृत्ति घोटाला: सोनीपत में जिला कार्यालय की ओर से पहले 170 छात्र-छात्रओं को छात्रवृत्ति देने के लिए 1 करोड़ 71 लाख 67 हजार 800 रुपये के प्रस्ताव स्वीकृति के लिए आए। फिर 182 विद्यार्थियों के लिए 1 करोड़ 81 लाख 42 हजार 700 रुपये के प्रस्ताव आए। इस राशि की मंजूरी के बाद ईपीएस बैंक ने महानिदेशक कार्यालय को सूचित किया कि स्वीकृत राशि को खातों में ट्रांसफर करने के लिए कर्मचारियों ने दूसरे आधार नंबर जोड़ते हुए हेराफेरी की है। चार सदस्यीय जांच कमेटी ने रिपोर्ट दी कि 352 मामलों में सिर्फ सात केस सही हैं।