साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद हरियाणा कांग्रेस में बदलाव का खाका लगभग तैयार हो चुका है। गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने की मंशा से पार्टी हाईकमान हरियाणा में रणदीप सिंह सुरजेवाला पर
दांव खेल सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सबसे विश्वसनीय सुरजेवाला को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है। चार जून को दिल्ली में होने वाली बैठक में उनके नाम पर मुहर लग सकती है।
हरियाणा कांग्रेस के मौजूदा प्रधान डा. अशोक तंवर पिछले पांच सालों में आज तक जिला व ब्लाक स्तर का संगठन नहीं खड़ा कर पाए हैं। तंवर ने हालांकि कई बार कोशिश भी की, मगर उनके विरोधी नेताओं ने तंवर के प्रयासों को इसलिए सिरे नहीं चढ़ने दिया, क्योंकि लिस्ट में सभी गुटों को भरपूर तथा वाजिब हिस्सेदारी नहीं दी गई थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता चुनाव लड़े। सभी की हार हुई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस हार का कारण राज्य कांग्रेस में संगठन की कमी को बताया है। कांग्रेस हाईकमान ने हालांकि पार्टी नेताओं की हार के लिए सीधे तौर पर किसी नेता को दोषी नहीं ठहराया, लेकिन उसे लगता है कि बिना संगठन में बदलाव के पार्टी को हरियाणा में भाजपा की टक्कर में खड़े रखना नामुमकिन है। इसलिए किसी सर्वमान्य नेता को संगठन की बागडोर सौंपी जानी चाहिए। हुड्डा समर्थक विधायकों की प्रदेश अध्यक्ष पद पर लंबे समय से निगाह है। इसके लिए वे पिछले कई सालों से लाबिंग भी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि हुड्डा सोनीपत से इसी शर्त पर चुनाव लड़ने को तैयार हुए थे कि नतीजों के बाद तंवर को प्रधान पद से हटाया जाएगा।
कांग्रेस में बन रहे कई तरह के समीकरण: कांग्रेस हाईकमान के सामने अब दलित चेहरे के रूप में कुमारी सैलजा के रूप में बड़ा नाम बचा है, लेकिन हाईकमान के सामने प्रस्ताव दिया गया कि रणदीप सुरजेवाला राज्य के तमाम राजनीतिक मिजाज से वाकिफ हैं और वे भाजपा को मजबूती के साथ टक्कर देकर गुटों में बंटे सभी नेताओं को साथ लेकर चल सकते हैं। लिहाजा उन्हें प्रधान पद सौंप दिया जाए। इसके बावजूद हुड्डा गुट प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपनी पसंद का कोई दावेदार उतारने के प्रयासों में कमी नहीं लाएगा। रविवार को अशोक तंवर ने फतेहाबाद में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का संकेत भी दिया है।
हाईकमान का भरोसा जीतने में लगे कुलदीप बिश्नोई: कांग्रेस में अध्यक्ष पद के तमाम दावेदार चुनाव हार गए हैं। पार्टी हाईकमान चाहता था कि कुलदीप बिश्नोई को प्रदेश की बागडोर सौंपी जाए, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके भाजपा में जाने की अफवाहों और हिसार से बेटे भव्य बिश्नोई की हार ने उनकी राह में कांटे बो दिए हैं। इसके बावजूद उनके प्रयास जारी हैं।
फतेहाबाद में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अशोक तंवर ने कहा कि फतेहाबाद में कांग्रेस की हार निश्चित थी, लेकिन इतनी बड़ी हार होगी यह सोचा नहीं था। उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है। हालांकि अंतिम फैसला पार्टी ही करेगी। तंवर रविवार को भूना रोड स्थित एक होटल में पत्रकारों से बात कर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि फतेहाबाद में कांग्रेस के दिग्गज नेता थे तो कम वोट कैसे कम आए। उन्होंने गुटबाजी का जिक्र किये बिना ही कहा कि इसका मंथन किया जा रहा है। हार के क्या कारण रहे है वे सब पता कर लेंगे। अशोक तंवर ने कहा कि अब आने वाले विधानसभा में इंसानी मशीन तैयार करेंगे। ईवीएम पर भरोसा नहीं रहा है। अब प्रत्येक कार्यकर्ता अपने बूथ लेवल पर जनसंपर्क अभियान शुरू करेगा । उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि हताश होने की जरूरत नहीं है। पांच साल अब सरकार से लड़ेंगे। लोगों को भी पता चल जाएगा कि जिस पार्टी को वोट दिए है उनके लिए क्या करेंगे। इस अवसर पर पूर्व विधायक दुड़ा राम, कुलबीर बेनीवाल, नरेश सरदाना, पूर्व मंत्री रामस्वरूप रामा, देवेन्द्र सिंह बबली, टेकचंद मिढा, कृष्णा पूनिया आदि उपस्थित थे।