साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर व्याप्त अनिश्चितता पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि देश में पूरी शिक्षा व्यवस्था को ही दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि छात्रों को दाखिले के लिए परेशान होकर
भटकना न पड़े। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्थित मेधावी छात्रों के लिए बहुत मुश्किल की होती है। अदालत ने राज्यों और केंद्र सरकार से छात्रों की परेशानियों पर ध्यान देने को कहा।
न्यायमूर्ति इंदु मलहोत्र व न्यायमूर्ति एमआर शाह की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को ये टिप्पणी महाराष्ट्र में मेडिकल और डेंटल के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के संबंध में सुनवाई के दौरान की। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को इन पाठ्यक्रमों के लिए अंतिम दौर की काउंसलिंग 17 जून तक करा लेने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर भ्रम की स्थिति पर कहा कि उसकी चिंता छात्रों को लेकर है। हर वर्ष मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर छात्रों में अनिश्चितता रहती है। आखिर पूरे शिक्षा तंत्र को दुरुस्त क्यों नहीं करते? छात्रों को इस तरह के तनाव और भ्रम की स्थिति में क्यों डाला जाता है? हर साल इस तरह की मुकदमेबाजी क्यों होती है? पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र सरकार से कहा कि वे छात्रों की परेशानियों पर ध्यान दें क्योंकि प्रवेश के मामले में अनिश्चितता का असर छात्र के पूरे कैरियर पर पड़ता है। पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के लिए 10 फीसद आरक्षण लागू करने की मांग वाली याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 10 फीसद आरक्षण लागू करने के सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है। इस वक्त वो कोई ऐसा आदेश नहीं देगा जिससे दूसरे छात्रों का भविष्य प्रभावित हो। इसके बाद कोटा लागू करने की मांग वाली अर्जी वापस ले ली गई।