साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी दस सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी रुकने का नाम नहीं ले रही है। हार की समीक्षा के लिए मंगलवार शाम को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस वाररूम (15 गुरुद्वारा रकाबगंज
रोड) में हुई पार्टी नेताओं की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे ने एक बार फिर प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर के इस्तीफे की मांग कर दी। यह पहला मौका था जब हुड्डा खेमे के पार्टी विधायकों ने प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद के सामने तंवर का इस्तीफा मांगा। हालांकि इस्तीफे की इस राजनीति से नाराज गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा मांग रहे विधायकों से ही सवाल किया कि तंवर इस्तीफा किसे दें। मौजूदा परिस्थितियों में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस्तीफा दिया हुआ है, तब कौन तंवर का इस्तीफा मंजूर करेगा।
आजाद ने इन नेताओं से साफ कहा कि वे पहले अपना घर मजबूत करें और गुटबाजी छोड़कर हार के असल कारण पर जाएं। प्रदेश की जनता को यदि कांग्रेस नेताओं ने एकजुटता नहीं दिखाई तो पार्टी विधानसभा चुनाव में भी कुछ नहीं कर पाएगी। सिर्फ एक घंटे चली इस बैठक को आजाद ने इस नसीहत के साथ खत्म कर दिया कि बैठक की जानकारी कोई नेता सार्वजनिक नहीं करेगा। इसके बाद सबसे पहले आजाद खुद बैठक से निकले और बिना मीडिया से कुछ बात किए चले गए। प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर भी उनके पीछे बैठक से निकल गए और उन्होंने भी किसी से बात नहीं की। एक के बाद एक करके कांग्रेस नेता बैठक से बाहर निकले मगर सभी के चेहरे उड़े हुए थे। मगर किसी ने मीडिया से बात नहीं की। विधायक दल की नेता किरण चौधरी और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने सिर्फ इतना कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने का प्रस्ताव बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इसके बाद कांग्रेस बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का प्रबंधन करेगी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा ने बैठक के बारे में किसी से कोई बात नहीं की।