साभार: जागरण समाचार
नई शिक्षा नीति तैयार करने में भले ही लंबा वक्त लगा है, लेकिन इसको लागू करने में सरकार कतई लंबा इंतजार नहीं कराएगी। इसे लेकर तैयारी तेज कर दी गई है। फिलहाल तय योजना के तहत इसे जुलाई के पहले
हफ्ते में ही अंतिम रूप देकर लागू कर दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति बनाने का काम वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। मोदी सरकार ने अपने एजेंडे में इसे प्रमुखता से शामिल किया था।
इस बीच, सरकार ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को लेकर आ रहे सुझावों पर भी काम शुरू कर दिया है। प्रत्येक सुझावों को गंभीरता से परखा जा रहा है। इन सुझावों पर प्रधानमंत्री कार्यालय की भी पैनी नजर है। सुझावों के लिए हालांकि अंतिम तारीख 30 जून की है। बावजूद इसके नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी इसे लेकर मिल रहे हर दिन के सुझावों को सूचीबद्ध करने और परखने में जुटी है। नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर सरकार की दिलचस्पी इसलिए भी है, क्योंकि यह नई सरकार के सौ दिन के कामकाज के एजेंडे में शामिल है। यही वजह है कि नई सरकार के गठन के तुरंत बाद नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को जारी किया गया। हालांकि इसके जारी होते ही भाषा जैसे मुद्दों को लेकर विरोध के सुर भी उठे, लेकिन सरकार ने इसके तूल पकड़ने से पहले ही पूरी स्थिति स्पष्ट करके उसे ठंडा कर दिया। सरकार ने साफ किया है कि वह नई शिक्षा नीति के जरिए किसी पर कुछ थोपने नहीं जा रही है। खास बात यह है कि नई शिक्षा नीति को लेकर शुरू से ही विरोध के सुर उठते रहे हैं। यही वजह है कि सरकार अब तक इसे आगे बढ़ाने से बचती रही है। हालांकि इस सब के बीच नीति के ड्राफ्ट को तैयार में जुटी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि नीति में विवाद जैसा कुछ नहीं है। नीति पूरे वैज्ञानिक नजरिए से तैयार की गई है। इनमें देश की संस्कृति को जीवित रखने की कोशिश की गई है।
कई हिस्सों में लागू होगी नीति: नई शिक्षा नीति के अमल की योजना पर काम कर रहे मानव संसाधन विकास मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक नीति को अलग-अलग चरणों में लागू किया जाएगा। फिलहाल इसे भी सूचीबद्ध किया जा रहा है। इसके साथ ही ड्राफ्ट कमेटी ने भी सरकार को इसके अमल को लेकर एक रोडमैप सुझाया है। इसके तहत इसे बेहतर तरीके से लागू कर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। देश में तीस वर्षो के बाद यानी वर्ष 1993 के बाद शिक्षा नीति पर काम किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा इसरो के पूर्व अध्यक्ष के.कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में तैयार किया गया है। इसे इसी शुक्रवार को एचआरडी मंत्री पद संभालने वाले रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा जा चुका है।