साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव में हार का स्वाद चख चुके हरियाणा के राजनीतिक दलों ने अब नए सिरे से विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा के हाथों बुरी तरह से पराजित हो चुके इन दलों को
अब सीधे फाइनल में किसी चमत्कार की आस है। अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा जहां अपना प्रदर्शन पहले से और बेहतर करने की लड़ाई लड़ेगी, वहीं कांग्रेस, इनेलो, जजपा, आप, बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के नेताओं की कोशिश अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ ही भाजपा को पीछे धकेलने की होगी। चुनाव नजदीक आने के दौरान इन दलों द्वारा भाजपा के विरुद्ध महागठबंधन खड़ा करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
हरियाणा की सभी दस लोकसभा सीटों पर भाजपा ने दमदार जीत हासिल कर विरोधी राजनीतिक दलों की मुश्किल बढ़ा दी है। राज्य की हर सीट भाजपा ने भारी मतों के अंतर से जीती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव हार गए। कांग्रेस, जजपा, इनेलो, आप, बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के मुख्यमंत्री पद के करीब एक दर्जन नेता लोकसभा चुनाव हारे हैं। इस हार के जख्म अभी हरे ही हैं, लेकिन 100 दिन बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटना उनकी मजबूरी हो गई है।
लोकसभा चुनाव में सात सीटों पर तीसरे नंबर पर रहने वाली लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने रविवार को सोनीपत में कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। इसमें दोनों दलों के प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे। बैठक में विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार होगी। रविवार को ही आम आदमी पार्टी ने रोहतक स्थित पार्टी मुख्यालय में बैठक बुलाई है। पार्टी अध्यक्ष पंडित नवीन जयहिंद की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सभी पदाधिकारी तथा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों को भाग लेने के लिए कहा गया है। इस बैठक में सभी जिलों के पदाधिकारियों से लोकल चुनावी मुद्दों पर फीडबैक लिया जाएगा।
कांग्रेस ने 4 जून को दिल्ली में बैठक बुलाई है। इस बैठक में संगठन की मजबूती तथा विधानसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा होगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने भी अपने स्तर पर शनिवार से सभी जिलों में दौरे शुरू कर दिए हैं। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य विधानसभा चुनाव की तैयारी है। जननायक जनता पार्टी ने विधानसभा का बिगुल फूंकने के लिए 9 जून निर्धारित की है। दुष्यंत चौटाला द्वारा बुलाई गई इस बैठक में सभी राष्ट्रीय व प्रदेश पदाधिकारियों को शिरकत करने के लिए कहा गया है, ताकि लोकसभा चुनाव की खामियों को दूर कर आगे बढ़ा जा सके।
हरियाणा के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही बुरे ढंग से पराजित हो गई, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी के तमाम दिग्गजों पर एक बार फिर से दांव खेला जाएगा। कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के तमाम दिग्गज नेताओं को लोकसभा चुनाव की हार को भुलाकर नए सिरे से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने के निर्देश दे दिए हैं। संगठन की कमजोरी की आड़ लेने वाले पार्टी नेताओं को हाईकमान ने दो टूक कह दिया कि किसी तरह की बहानेबाजी बनाने की बजाय विधानसभा चुनाव में नतीजे देने का रास्ता तैयार करें।
कांग्रेस हाईकमान हरियाणा की सभी दस लोकसभा सीटों पर हुई हार से अधिक विचलित नहीं है। अमेठी से खुद राहुल गांधी की हार इसका बड़ा कारण बनकर सामने आई है। कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि एयर स्ट्राइक, भाजपा का राष्ट्रवाद और पुलवामा हमले की घटनाओं ने लोगों को भाजपा के हक में एकजुट कर दिया है। इन तमाम मुद्दों के चलते कांग्रेस लोगों को अपने पक्ष में खड़ा कर पाने में कामयाब नहीं हो सकी, जिसका नतीजा हार के रूप में सामने आया है। हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों की पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठक में भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसके बाद हाईकमान ने कहा कि किसी को हार से विचलित होने की जरूरत नहीं है। पूरे देश में भाजपा के इस राष्ट्रवाद ने काम किया है। लिहाजा नए सिरे से चुनाव में जुटना होगा।
कांग्रेस दिग्गजों ने हरियाणा में हुई अपनी हार के लिए एक दूसरे को घेरने की रणनीति भी अपनाई, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी। कुछ लोगों ने राज्य में संगठन नहीं होने का मुद्दा उठाया। हाईकमान ने हालांकि इस बात को स्वीकार तो किया, लेकिन स्पष्ट तौर पर कोई दिशा निर्देश जारी करने की बजाय 4 जून को दिल्ली में फिर से होने वाली बैठक में चर्चा के लिए इसे छोड़ दिया। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर पर आरोप लगते रहे हैं कि अपने अब तक के कार्यकाल में वे जिला, ब्लाक और बूथ स्तर पर संगठन नहीं खड़ा कर पाए, लेकिन तंवर समर्थक इसका कारण उन्हीं नेताओं को बता रहे, जो संगठन नहीं बनने पर सवाल खड़े कर रहे हैं। तंवर समर्थकों की दलील है कि जिला व ब्लाक प्रधानों की लिस्ट कई बार फाइनल की गई, लेकिन गुटों में बंटे नेताओं ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते इस लिस्ट को कभी सिरे नहीं चढ़ने दिया। लिहाजा हर बार संगठन का काम बीच में ही अटक गया।
ब्लाक व जिला प्रधानों की नियुक्ति संभव: कांग्रेस हाईकमान ने यह भी संकेत दिया है कि इस बार का विधानसभा चुनाव भी अशोक तंवर के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। राज्य में अक्टूबर में होने वाले चुनाव के लिए मात्र तीन माह का समय बचा है। ऐसे में संगठन के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव किसी सूरत में उचित नहीं होगा। अशोक तंवर को ब्लाक व जिला प्रधानों की नियुक्ति के लिए तो कहा जा सकता है, लेकिन उन्हें हटाकर किसी दूसरे नेता को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाएगी, इसकी संभावना इसलिए कम है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में पार्टी का एक भी दिग्गज हाईकमान की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका।
वोट प्रतिशत में गिरावट नहीं आने को अपने लिए नया संकेत मान रही कांग्रेस: हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान के लिए राहत की बात यह है कि उसके वोट प्रतिशत में किसी तरह की गिरावट नहीं आई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 28 था, जो इस बार के लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रहा है। भाजपा ने जरूर अपने मत प्रतिशत में बढ़ोतरी कर इसे 52 तक पहुंचा दिया है, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस के मतों में सेंध लगाने की बजाय इनेलो, जजपा, आम आदमी पार्टी, बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के मतों में भारी सेंधमारी की है।
बड़े चौटाला के सहारे इनेलो: इनेलो को अब अपनी पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला का ही आसरा बचा है। चौटाला ने पैरोल पर बाहर आते ही जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है, जबकि इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला भी अपने स्तर पर संगठन की बैठकों का दौर शुरू कर रहे हैं। सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन के मुताबिक भाजपा ने लोकसभा में सभी दस सीटों पर जीत दर्ज की है। अब समूची पार्टी पूरी एकजुटता के साथ मिशन 80 प्लस लेकर मैदान में उतरेगी, जिसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। इसी रणनीति को सत्ता व संगठन के स्तर पर अमलीजामा पहनाने के लिए बैठकों का आयोजन होगा।