साभार: जागरण समाचार
मोदी सरकार के नये रक्षा मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह ने शनिवार को अधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रलय का कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने थल सेना, नौसेना एवं वायुसेना प्रमुखों को अपने-अपने बलों की
चुनौतियों और संपूर्ण कामकाज पर अलग-अलग प्रेजेंटेशन (प्रस्तुतियां) तैयार करने को कहा है। मंत्रलय की दूसरी शाखाओं को भी प्रेजेंटेशन देने को कहा गया है। इनकी जल्द ही एक बैठक में समीक्षा की जाएगी। रक्षा मंत्रलय के अधिकारियों के अनुसार सिंह ने यहां रक्षा मंत्रलय मुख्यालय में थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ और नव-नियुक्त नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह के साथ बैठक कर सुरक्षा परिदृश्य की जानकारी भी ली।
इससे पहले, राजनाथ सिंह शनिवार को मंत्रलय पहुंचने से पहले सीधा शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट स्थित वॉर मेमोरियल पहुंचे। वहीं मंत्रलय पहुंचने पर रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद यशो नाइक, रक्षा सचिव संजय मित्र और मंत्रलय के कई शीर्ष अधिकारियों ने सिंह का गर्मजोशी से स्वागत किया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल वाली सरकार में राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे। रक्षा मंत्री के तौर पर राजनाथ सिंह की सबसे अहम चुनौती सेना के तीनों अंगों के काफी समय से लंबित पड़े आधुनिकीकरण को तेज करने और उनकी युद्ध की तैयारियों में संपूर्ण सामंजस्य सुनिश्चित करने की होगी। उनके समक्ष एक और चुनौती चीन से लगी सीमा पर शांति एवं स्थिरता कायम करने तथा वहां चीन की किसी संभावित शत्रुता से निपटने के लिए जरूरी सैन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने की होगी। राजनाथ सिंह से देश के रक्षा प्रतिष्ठानों को उम्मीद है कि राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज मंत्री के मिलने से तीनों सेवाओं के एक प्रमुख जैसे ढांचागत सुधार पर भी काम आगे बढ़ सकेगा। राजनाथ सिंह के कार्यभार संभालने के बाद से ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि वह सीमा पार से आतंकवाद से निपटने की दृढ़ संकल्प वाली नीति को जारी रखेंगे। पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारत के एयर स्ट्राइक करने के महज तीन महीने बाद रक्षा मंत्रलय की जिम्मेदारी संभालने आए सिंह के लिए जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ पर रोक लगाना एक और अहम क्षेत्र होगा। वहीं बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और भू-राजनीतिक परिदृश्य के चलते बतौर रक्षा मंत्री सिंह को थल सेना, नौसेना और वायुसेना की युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना होगा। आज के दौर में जब सशस्त्र बल हाइब्रिड वॉरफेयर से निपटने के लिए खुद को साजोसामान से सुसज्जित करने पर जोर दे रहे हैं, ऐसे में सिंह को यह अहम मांग जल्द ही पूरी करनी होगी। हाईब्रिड वारफेयर एक ऐसी रणनीति है, जिसमें परंपरागत सैन्य बल को तैनात किया जाता है और इसे साइबर युद्ध तरकीबों से सहयोग प्रदान किया जाता है। वहीं सरकार स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और राजनाथ सिंह को महत्वाकांक्षी रणनीतिक साङोदारी मॉडल के क्रियान्वयन सहित कई बड़े सुधारों की पहल करनी होगी। नये मॉडल के तहत चयनित भारतीय निजी कंपनियों को विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमान जैसे साजोसामान बनाने के काम में लगाया जाएगा। रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का देश में उत्पादन कर सकने के लिए रक्षा अनुसंधान संगठनों और रक्षा क्षेत्र के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के आधुनिकीकरण की भी रक्षा मंत्री के समक्ष चुनौती होगी।