Sunday, June 2, 2019

न्यूजीलैंड के सामने घुटने टेके श्रीलंकाई शेरों ने, कीवी जीते 10 विकेट से

साभार: जागरण समाचार  
श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा और महेला जयवर्धने अपने समय के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं। निश्चित तौर पर इन दोनों की सलाह विश्व कप में श्रीलंकाई टीम को मदद पहुंचा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड की नीतियों से परेशान दोनों ही पूर्व क्रिकेटरों ने अपने कदम पीछे हटा लिए और नतीजा शनिवार को सबके सामने रहा। कीवियों के आगे श्रीलंकाई शेर नतमस्तक हो गए। कार्डिफ के सोफिया गार्डेस में खेले गए मुकाबले में श्रीलंकाई टीम न्यूजीलैंड के गेंदबाजी आक्रमण के आगे 29.2 ओवर में 136 रनों पर ही ढेर हो गई। श्रीलंका के कप्तान दिमुथ करुणारत्ने अगर अर्धशतक नहीं लगाते तो श्रीलंका 100 रनों के अंदर आउट हो सकती थी। जवाब में न्यूजीलैंड ने 16.1 ओवर में बिना किसी नुकसान के 137 रन बनाकर 10 विकेट से शानदार जीत दर्ज की। यह विश्व कप में तीसरा मौका है जब न्यूजीलैंड ने 10 विकेट से जीत हासिल की। वह विश्व कप में सबसे ज्यादा बार 10 विकेट से जीत हासिल करने वाली टीम रही। वहीं एशिया उपमहाद्वीप के लिए यह लगातार दूसरा निराशाजनक दिन रहा। शुक्रवार को पाकिस्तान की टीम भी 105 रनों पर ढेर हो गई थी।
137 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी 2015 विश्व कप की उप विजेता न्यूजीलैंड को कोई दिक्कत नहीं हुई। दोनों सलामी बल्लेबाजों मार्टिन गुप्टिल (नाबाद 78) और कोलिन मुनरो (नाबाद 58) को श्रीलंकाई गेंदबाज किसी तरह की मुश्किल में नहीं डाल सके। दोनों ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से श्रीलंकाई गेंदबाजों पर जहां चाहे वहां रन बनाए। खासकर गुप्टिल ने बेहद ही आक्रामक रूख अपनाया। उन्होंने जल्द ही अपना अर्धशतक पूरा कर लिया और कुछ देर बाद मुनरो ने भी अर्धशतक पूरा किया। यह विश्व कप में चौथा मौका रहा, जब न्यूजीलैंड के दोनों सलामी बल्लेबाजों ने अर्धशतक लगाए। इसके कुछ देर बाद ही न्यूजीलैंड ने शानदार जीत दर्ज की। गुप्टिल ने 51 गेंद में आठ चौके और दो छक्के लगाए। वहीं मुनरो ने 47 गेंद में छह चौके और एक छक्का लगाया।
इससे पहले, न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया। उनके गेंदबाजों ने इस फैसले को सही साबित भी किया। 1996 की विश्व कप विजेता टीम की तरफ से सिर्फ तीन बल्लेबाज ही दहाई का आंकड़ा छू सके। उसके लिए कप्तान दिमुथ करुणारत्ने ने सर्वाधिक नाबाद 52 रन बनाए। मैट हेनरी ने श्रीलंका के शीर्ष तीन बल्लेबाजों को पवेलियन भेजकर उसकी नींव कमजोर की। उनके बाद बाकी गेंदबाजों ने हेनरी द्वारा बनाए गए दबाव का फायदा उठाकर श्रीलंका को बड़े स्कोर के आसपास भी नहीं जाने दिया।
हेनरी ने चार के कुल स्कोर पर लाहिरु थिरिमाने (04) को पवेलियन भेजकर श्रीलंका को पहला झटका दिया। करुणारत्ने ने यहां से कुशल परेरा (29) के साथ मिलकर टीम को संभालने की कोशिश की, लेकिन यह जोड़ी 46 के स्कोर से आगे नहीं जा पाई। हेनरी ने यहां कुशल को पवेलियन भेजकर टीम को दूसरी सफलता दिलाई। अगली ही गेंद पर हेनरी ने कुशल मेंडिस को मार्टिन गुप्टिल के हाथों कैच कराकर श्रीलंका को तीसरा झटका दिया। हेनरी ने जो शुरुआती तीन झटके श्रीलंका को दिए उससे श्रीलंकाई टीम कभी उबर नहीं पाई और लगातार विकेट खोती रही। करुणारत्ने एक छोर संभाल रहे, लेकिन दूसरे छोर से साथ नहीं मिला। धनंजय डिसिल्वा (04), एंजेलो मैथ्यूज (00), जीवन मेंडिस (01) 60 के कुल स्कोर तक पवेलियन लौट लिए थे। यहां करुणारत्ने को तिसारा परेरा (27) का साथ मिला। दोनों ने टीम का स्कोर 100 के पार पहुंचाया। लग रहा था कि यह दोनों टीम को संभाल लेंगे, लेकिन मिशेल सेंटनर ने परेरा की पारी का अंत कर करुणारत्ने को एक बार फिर अकेला छोड़ दिया। 23 गेंदों पर दो चौके मारने वाले परेरा का विकेट 112 के कुल स्कोर पर गिरा। उनके जाने के बाद कप्तान ने अर्धशतक पूरा किया, लेकिन दूसरी तरफ से इसुरु उदाना (00), सुरंगा लकमल (07) पवेलियन में बैठ चुके थे। लॉकी फग्यरूसन ने लसित मलिंगा को बोल्ड कर श्रीलंका को पवेलियन भेज दिया। करुणारत्ने ने 84 गेंदों का सामना कर चार चौके मारे। हेनरी और फग्यरूसन ने तीन-तीन विकेट लिए। ट्रेंट बोल्ट, कोलिन डि ग्रैंडहोम, जेम्स नीशाम और सेंटनर को एक-एक विकेट मिला।