साभार: जागरण समाचार
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि पार्टी के सामने आज वैसी ही स्थिति है जैसी अंग्रेजों के समय में थी। कांग्रेस संसदीय दल के नेता के चुनाव के बाद पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि
अंग्रेजी राज के समय कोई भी संस्था हमारा समर्थन नहीं कर रही थी। हमने संघर्ष किया और जीते। इस बार भी हम यही कर दिखाएंगे।
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी की सियासी चुनौतियों पर बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों की तुलना ब्रिटिश राज से कर यह साफ संदेश दे दिया है कि चुनावी शिकस्त के बावजूद वह अपनी आक्रामक शैली में कोई बदलाव नहीं करेंगे। राहुल गांधी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में सांसदों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि सभी कांग्रेसियों को यह याद रखना हैं कि हम संविधान के लिए लड़ रहे हैं। जाति-धर्म, रंग-रूप और प्रांतों से परे बिना किसी भेदभाव के हर नागरिक के लिए लड़ रहे हैं। इसीलिए हमें मजबूत और आक्रामक रहना होगा। इसमें लोकसभा में सीटें कम मिलने का मसला आड़े नहीं आएगा। राहुल ने कहा कि पिछली बार भाजपा के 282 के मुकाबले 44 सीटों पर थे तो मुङो लगा कि वाकई हमारे लिए मुश्किल होगा और हम इस संख्या से क्या कर पाएंगे। मगर कुछ ही हफ्ते में अहसास हो गया कि हमारे 44 ही भाजपा के 282 से मुकाबला के लिए काफी हैं।
इसीलिए वह गारंटी देते हैं कि 52 सांसद ही भाजपा से इंच-इंच की लड़ाई के लिए काफी हैं। कांग्रेस की कठिन चुनौतियों से सांसदों को रूबरू कराते हुए राहुल ने कहा कि हमारे खिलाफ कौन लड़ रहा है यह समझने की जरूरत है। कांग्रेस का प्रेम और सद्भाव ही भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती लगती है। इसीलिए वह ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ की बात कहती है ताकि उनको खुली राह मिल जाए और कोई चुनौती देने वाला न रहे। सांसदों को सदन में आक्रामक होने का संदेश देते हुए उन्होंने कहा वे अमूमन जितनी उंची आवाज में बोलते हैं उससे कुछ ज्यादा की जरूरत होगी। कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश के बाद पहली बार पार्टी फोरम पर राहुल गांधी ने चुनाव में हुई चूकों पर आत्ममंथन की सोनिया गांधी की सलाह से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि गलतियों से सीख लेकर ही पार्टी को नए तेवरों से लैस किया जा सकेगा।
राहुल ने कहा, ‘इस देश में अब ऐसी कोई संस्था नहीं बची जो आपका समर्थन करे, कोई एक भी आपका समर्थन नहीं करेगा। यह अंग्रेजों के समय जैसी स्थिति है जब किसी संस्था ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया था मगर हमने संघर्ष किया और जीते। इस बार भी हम यही कर दिखाएंगे।’ राहुल ने इस तेवर से साफ कर दिया कि चुनाव में उनके आक्रामक अभियान को लेकर चाहे जो सवाल उठाए जाएं मगर भाजपा और मोदी के खिलाफ आमने-सामने की राजनीतिक जंग का अपना अंदाज वह नहीं छोड़ेंगे।