साभार: जागरण समाचार
अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री पैटिक शानाहन ने शनिवार को कहा कि उनका देश अपने एक बड़े ‘रक्षा साझीदार’ भारत के साथ अपने सैन्य संबंधों का दायरा बढ़ा रहा है। भारत-अमेरिका के बीच तेजी से बढ़ती
साङोदारी के दो मुख्य क्षेत्र-‘रक्षा सहयोग और शांति है’। इसकी कल्पना (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रम्प प्रशासन की हिंद-प्रशांत रणनीति में की गई है।
शानाहन ने सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद के संबोधन में कहा, ‘बीते दशकों में भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में उल्लेखनीय मजबूती आयी है और भारत अब अमेरिका का महत्वपूर्ण रक्षा साझीदार है। हमारा देश भारत के साथ अपने सैन्य संबंधों का दायरा बढ़ा रहा है। इसमें पहली बार इस साल के आखिर में होने वाला सेना के तीनों अंगों (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) का अभ्यास भी शामिल है।’उन्होंने कहा कि पिछले साल संचार, सुसंगतता एवं सुरक्षा समझौता (कॉमकासा) पर हस्ताक्षर करना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस समझौते के बाद भारत अमेरिका से अतिमहत्वपूर्ण एवं संवेदनशील रक्षा तकनीक हासिल कर सकेगा।
दो दशक में मजबूत हुई भारत से रणनीतिक साङोदारी: अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साङोदारी पिछले दो दशकों में मजबूत होने का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को अमेरिकी कांग्रेस को बताया कि दोनों देश हंिदू-प्रशांत से वैश्विक व्यापार और वाणिच्य के महत्व को समझते हैं और क्षेत्र को लेकर उनके विचार भी समान हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वैश्विक विकास में हंिदू-प्रशांत क्षेत्र का योगदान दो-तिहाई है, जबकि वैश्विक जीडीपी का 60 प्रतिशत उसके हिस्से में आता है। केंद्र-प्रशांत क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका, चीन और जापान तथा छह सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाएं, भारत, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, नेपाल और फिलीपीन शामिल हैं।