Saturday, June 1, 2019

हरियाणा के इन तीन सांसदों को मिले ये मंत्रालय

साभार: जागरण समाचार  
मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हरियाणा के तीनों मंत्रियों में से राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर को पिछले कार्यकाल के ही मंत्रलयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि रतन लाल कटारिया सामाजिक न्याय एवं
अधिकारिता के साथ जल शक्ति मंत्रलय में राज्यमंत्री होंगे। राव इंद्रजीत सिंह को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, योजना मंत्रलय का स्वतंत्र प्रभार मिला है और कृष्णपाल गुर्जर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ही रहेंगे।  
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन, योजना और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय का बंटवारा करते हुए पिछले मंत्रियों की जिम्मेदारी में कोई फेरबदल नहीं किया है। मोदी मंत्रिमंडल प्रथम में भी राव इंद्रजीत सिंह के पास ये ही जिम्मेदारी थी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय में पिछली बार भी कैबिनेट मंत्री थावर चंद गहलोत थे और उनके साथ तीन राज्य मंत्री थे। इस बार भी उनके साथ तीन राज्य मंत्री होंगे। पिछली बार रामदास अठावले, कृष्णपाल गुर्जर और पंजाब के विजय सांपला राज्य मंत्री थे जबकि इस बार गहलोत के गहलोत के साथ रामदास अठावले, कृष्णपाल गुर्जर के अलावा विजय सांपला की जगह हरियाणा के रतन लाल कटारिया को तीसरा राज्य मंत्री बनाया गया है।
राजनीतिक गलियारों में हालांकि यह माना जा रहा था कि गुर्जर को इस बार ज्यादा महत्व का मंत्रलय मिलेगा क्योंकि मोदी के पिछले मंत्रिमंडल में पहले वे नितिन गडकरी के साथ परिवहन मंत्रलय में राज्य मंत्री बनाए गए थे। हालांकि बाद में मोदी ने गुर्जर का विभाग बदलकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कर दिया था।
दिल्ली के दरबार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सारथी के रूप में इस बार भी केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ही रहेंगे। पहले भी केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दिल्ली दरबार में बड़े पैरोकार होते थे। भले ही पिछली बार भी हरियाणा से तीन मंत्री थे, लेकिन बीरेंद्र सिंह और राव इंद्रजीत सिंह ने कभी मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उतना महत्व नहीं दिया, जितना चाहिए था। दूसरी तरफ गुर्जर सदैव मनोहर के साथ रहे और हर मोड़ पर उनका पक्ष लेते रहे।
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि मनोहर लाल ने प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री रहते हुए रतन लाल कटारिया को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में काफी अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन बाद में कटारिया और मनोहर के बीच दूरियां बन गई। तब नरेंद्र मोदी ही प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे।
2014 में प्रदेश की दस सीट में से भाजपा ने सात पर जीत हासिल की थी मगर इन सात सांसदों में सिर्फ कृष्णपाल गुर्जर ही मुख्यमंत्री के नजदीकी गिने जाते थे। अंबाला से रतनलाल कटारिया, सोनीपत से रमेश कौशिक, भिवानी से धर्मबीर, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह,करनाल से अश्विनी कुमार और कुरुक्षेत्र से राजकुमार सैनी कभी मुख्यमंत्री के साथ नहीं खड़े दिखाई नहीं दिए। राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह समय-समय पर मुख्यमंत्री को असहज करते रहे।
कटारिया को मंत्री बनवा कर CM ने खेला बड़ा दांव: हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष रह चुके अंबाला के सांसद रतनलाल कटारिया को मोदी कैबिनेट में शामिल कराकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। कटारिया के मंत्री बनने से हरियाणा के अनिल विज को कड़ी टक्कर मिल सकेगी। कटारिया और विज में पुराना छत्तीस का आंकड़ा है, लेकिन विज इस टकराव के बाद भी लोकसभा चुनाव में कटारिया के हक में खड़े नजर आए।
अनिल विज अंबाला छावनी से विधायक हैं, जबकि रतनलाल कटारिया दूसरी बार अंबाला से सांसद चुने गए हैं। कटारिया के केंद्र में मंत्री बनने से जहां दलितों का भरोसा जीतने में मदद मिलेगी, वहीं उत्तर हरियाणा में पार्टी के पैर मजबूत होंगे। कटारिया को मंत्री बनवाने में मुख्यमंत्री ने अहम भूमिका निभाई है। अंबाला लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला सिटी, मुलाना, साढौरा, जगाधारी और यमुनानगर शामिल हैं। यहां सभी नौ सीटों पर भाजपा का कब्जा है। मनोहर सरकार में इसी क्षेत्र से भाजपा विधायक कंवरपाल गुर्जर विधानसभा के स्पीकर हैं तो अनिल विज स्वास्थ्य मंत्री हैं। नारायणगढ़ के निवर्तमान विधायक नायब सैनी खनन एवं भू-विज्ञान राज्य मंत्री हैं। अब वे विधायक और मंत्री पद से इस्तीफा देंगे। अंबाला में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का शुरू से ही सांसद रतनलाल कटारिया के साथ मनमुटाव रहा है। दोनों नेताओं द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी करने के वीडियो तक वायरल हो चुके हैं। पिछले साढ़े चार साल में विज ने अपने ही अंदाज में राजनीति की है। उनकी बयानबाजी तथा फैसलों के चलते सरकार को कई मौकों पर असहज होना पड़ा है। विज के बढ़ते प्रभाव का असर माना जाए या फिर बेबाक फैसलों की आदत, अंबाला में नायब सैनी, रतनलाल कटारिया तथा अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल ने उनके खिलाफ सिर जोड़े रखा।