साभार: जागरण समाचार
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में पशुओं को भी इंसानों के समान अधिकार प्रदान किए हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि सभी पशु अपने विशेष व्यक्तित्व के साथ एक कानूनी इकाई हैं और उन्हें
जीवित व्यक्तियों की तरह सभी अधिकार मिलने चाहिएं। हरियाणा के नागरिकों को प्रदेश के पशुजगत (एनिमल किंगडम) का अभिभावक घोषित करते हुए जस्टिस राजीव शर्मा की पीठ ने रेखांकित किया कि पशुओं की सुरक्षा और उनकी देखभाल प्रदेश के लोगों की जिम्मेदारी है।
कानून में ‘लोको पेरेंटिस’ (प्राकृतिक अभिभावकों के उपलब्ध न होने पर बच्चे के भरण पोषण के जिम्मेदार) की अवधारणा को पशुओं के कल्याण के लिए प्रयोग करते हुए हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हरियाणा के सभी नागरिक अब पशुओं के कल्याण और सुरक्षा के लिए उनके अभिभावकों की तरह जिम्मेदार हैं। जस्टिस शर्मा ने कहा कि नभचर, जलचर और गोचर यानी हवा में उड़ने वाले, जल में रहने वाले और धरती पर विचरने वाले सभी पशुओं को अपने शरीर, अपने सम्मान और अपनी गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।
उनका संपत्ति की तरह उपयोग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पशु बोल नहीं सकते, परंतु एक जिम्मेदार समाज होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि पशुओं के हवाले से हम बोलें। पशुओं की भावनाएं और संवेदनाएं भी इंसानों जैसी होती है इसलिए उनसे शारीरिक या मनोवैज्ञानिक र्दुव्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस शर्मा ने यह आदेश 15 साल पहले हरियाणा से 29 गायों को उत्तर प्रदेश भेजने के आरोप में दोषी ठहराए गए करनैल सिंह और अन्य अभियुक्तों की अपील पर दिया। इसके साथ ही जस्टिस राजीव शर्मा ने 29 निर्देश भी जारी किए हैं।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा जारी प्रमुख निर्देश:
- गर्मियों में सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच जब तापमान 37 डिग्री से अधिक हो और सर्दियों में रात 10 बजे से सुबह 7 बजे के बीच जब तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से कम हो, पशुओं से माल ढुलाई न कराई जाए।
- पशुओं से नौ घंटे से अधिक काम न लिया जाए और लगातार पांच घंटे से अधिक काम न लिया जाए।
- बग्घियों या तांगों में चार सवारी के अलावा कोचवान और छह साल से कम उम्र के बच्चे ही बैठ सकते हैं।
- पैदल यात्र के लिए पशुओं को 12 डिग्री से 30 डिग्री तापमान के बीच ही भेजा जाए और इस तापमान में भी उन्हें एक बार में दो घंटे से अधिक न चलाया जाए।
- पशुओं को हर चार घंटे में भोजन और दो घंटे में पानी पिलाए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए
- यात्र के दौरान पशुओं के अंगों पर रस्सी न कसी जाए। सिर्फ गले में रस्सी डाली जा सकती है परंतु इस रस्सी को आरामदायक गद्दी से लपेटा जाए ताकि जख्म न हो।
- हरियाणा पुलिस इस बात को सुनिश्चित बनाए कि पशुओं को ‘राइट ऑफ वे’ उपलब्ध हो।
- घोड़े, बैल या अन्य बेसहारा पशुओं के लिए उपयुक्त आकार के आश्रय स्थल की व्यवस्था की जानी चाहिए।