साभार: जागरण समाचार
भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों में आई गर्माहट का भविष्य क्या है? भारत में अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत केनेथ आई जस्टर ने पद संभालने के बाद पहले सार्वजनिक भाषण में स्पष्ट
संकेत दिया कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक निवेश हब बना सकता है। इतना ही नहीं भारत-अमेरिका गठबंधन आने वाले वर्षो में वैश्विक पटल की सबसे उल्लेखनीय घटना होने वाली है।
बीजिंग के साथ जारी आर्थिक विवाद के बीच जस्टर ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में चीन की जगह लेने की क्षमता रखता है। जिस तरह से अभी रक्षा साङोदारी को रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, उसी तरह से आर्थिक रिश्तों को भी देखना होगा। आगे उन्होंने कहा, ‘कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में कारोबार करने में दिक्कत बढ़ने की शिकायत की है। कई कंपनियां वहां अपने कारोबार कम कर रही हैं। कई कंपनियां विकल्प तलाश रही हैं। भारत व्यापार व निवेश के इस रणनीतिक मौके का फायदा उठाते हुए हंिदू-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी कारोबार का केंद्र बन सकता है।’ आगे चल कर दोनों देश फ्री ट्रेड समझौते का रोडमैप भी बना सकते हैं।
सैन्य निर्माण में होंगी अहम घोषणाएं: अमेरिकी राजदूत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग की भी रूप-रेखा पेश की। उन्होंने इस क्षेत्र में भारत को लीडर के तौर पर पेश करते हुए कहा कि अगले वर्ष सैन्य सहयोग में कुछ अहम घोषणाएं हो सकती हैं। इसमें नेक्स्ट जेनेरेशन के युद्धक विमान और जमीनी युद्ध लड़ने वाले बेहद आधुनिक वाहनों का संयुक्त तौर पर निर्माण करने से जुड़ी घोषणाएं भी शामिल हो सकती हैं। जस्टर के शब्दों में, ‘अमेरिका भारत को वह सारी मदद देने को तैयार है जिससे वह हंिदू महासागर और इसके आस पास के इलाके में क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी कदम का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार रहे।’ ऐसे समय जब चीन पूरे हंिदू व प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा है।