साभार: जागरण समाचार
आने वाले दिनों में सस्ते कर्ज की आस लगाए बैठे लोगों को झटका लग सकता है। देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर इस संकेत को पुख्ता कर दिया है। जमा पर ब्याज
दरें बढ़ने को सीधे तौर पर महंगे कर्ज से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगले हफ्ते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से सस्ते कर्ज की कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वित्त मंत्रलय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी इस तरह के संकेत दे चुके हैं। एसबीआइ ने मंगलवार को बल्क डिपॉजिट पर ब्याज दरों में 0.50 से 1.40 फीसद तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है।
दरअसल, तकरीबन दो वर्ष बाद बैंकों से कर्ज लेने वालों की रफ्तार इनमें जमा राशि रखने वाले ग्राहकों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। रेटिंग एजेंसी इकरा ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में पांच जनवरी, 2018 तक के आंकड़ों के आधार पर कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अब तक 2.02 लाख करोड़ रुपये की राशि बतौर कर्ज बांटी गई है। इसी अवधि में बैंकों में जमा राशि के तौर पर 1.27 लाख करोड़ रुपये आए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में बैंकों को कर्ज बांटने के लिए ज्यादा से ज्यादा राशि जनता से जुटानी होगी। यह काम डिपॉजिट रेट बढ़ाकर ही संभव होगा। इकरा के मुताबिक, बीते एक साल में बैंक की जमा दरों में 2.40 फीसद की औसतन कटौती हो चुकी है। इसलिए अब इसमें बढ़ोतरी होनी तय है। इकरा की इस बात को एसबीआइ की घोषणा से पुख्ता आधार भी मिल गया है। एसबीआइ ने फिलहाल बल्क डिपॉजिट पर जमा दरें बढ़ाकर इसकी शुरुआत की है।
एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि की सावधि जमा को बल्क डिपॉजिट की श्रेणी में रखा जाता है। एसबीआइ ने 46 से 210 दिनों तक के लिए बल्क जमाओं पर देय ब्याज दरों को 4.85 फीसद सालाना से बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया है। एक वर्ष की अवधि की बल्क जमाओं पर ब्याज दरों को भी एक फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद किया गया है। बैंक ने बुजुर्गो को भी आकर्षित करने की कोशिश की है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वर्ष से 455 दिनों तक की जमा स्कीमों पर ब्याज दर 5.75 फीसद से बढ़ाकर 6.75 फीसद किया गया है।
बैंकिंग की दुनिया में जमा स्कीमों पर ब्याज दर बढ़ाने को कर्ज महंगा करने के पहले कदम के तौर पर देखा जाता है।
मौद्रिक नीति की समीक्षा सात को: सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद सीईए सुब्रमण्यन ने भी महंगे कर्ज का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था, ‘एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, दूसरी तरफ विकास दर भी रफ्तार पकड़ रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती करने का विकल्प नहीं रहेगा।’ आरबीआइ सात फरवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करने वाला है। अब तो कई अर्थविद यह कहने लगे हैं कि भारत में सस्ते कर्ज का माहौल लौटने में अब काफी वक्त लगेगा।