Thursday, January 18, 2018

बेटियों से दरिंदगी की बढ़ती दुर्घटनाओं से शर्मसार हरियाणा, क्या कहते हैं माननीय

साभार: जागरण समाचार 
महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बीच किशोरियों-बच्चियों के साथ रोंगटे खड़े करती वारदातों ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद बीते पांच सालों में कितनी ही युवतियों और महिलाओं
को दुष्कर्म के बाद वीभत्स तरीके से मार डाला गया। हर दिन औसतन तीन महिलाओं से दुष्कर्म के घिनौने कृत्य सामने आ रहे हैं तो सामूहिक दुष्कर्म के 204 मामलों के साथ महिला अपराध में हरियाणा देश में चौथे स्थान पर पहुंच गया है।  
प्रदेश में करीब हर आठ घंटे में किसी न किसी महिला, युवती, किशोरी या बच्ची की अस्मत लूटी जा रही है। हाल ही में घटित जींद-पानीपत में नाबालिग लड़कियों की सामूहिक दुष्कर्म के बाद जघन्य हत्या और फरीदाबाद व पिंजौर में हैवानियत की हदें पार करने वाले दुष्कर्म के मामलों ने एक बार फिर से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2016 में दुष्कर्म के 1198, सामूहिक दुष्कर्म के 191 मामले दर्ज हुए। 18 बच्चियां दुष्कर्म का शिकार हुईं।
ऐसा नहीं है कि महिला अपराध कोई अचानक से बढ़ा हो। वर्ष 2014 में 9010, 2015 में 9511 और 2016 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 9839 मामले दर्ज किए गए। इस तरह तीन वषों में महिला अपराध के 28 हजार से अधिक केस दर्ज किए गए। इनमें दहेज हत्या, दहेज प्रताडऩा, दुष्कर्म, अपहरण, छेड़छाड़ और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज केस शामिल हैं। 
औद्योगिक रूप से विकसित पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद और रोहतक महिला अपराध में सबसे आगे हैं। पिछले पांच महीने में ही महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर 20 हजार से अधिक शिकायतें आईं, जिससे स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा नहीं कि सरकार महिला अपराधों से निपटने के लिए कुछ नहीं करती। फिर भी महिलाओं के प्रति अपराध कम होना तो दूर, उलटे बढ़ता ही जा रहा है। बहुत सी यौन अपराध की घटनाएं लोकलाज के भय से छुपा ली जाती हैं। ऐसा करना मजबूरी होती है, क्योंकि समाज का दुष्कर्म पीड़ित युवती के प्रति कुछ अलग ही नजरिया होता है। जब तक समाज का यह नजरिया नहीं बदलेगा तब तक स्थिति में सुधार होना संभव नहीं है। दुष्कर्मियों के सामाजिक बहिष्कार की परंपरा भी शुरू करनी होगी। ऐसा किए बगैर स्थिति में सुधार संभव नहीं है।
महिलाएं न तो घर में सुरक्षित हैं और न बाहर। यही वजह है कि महिला आयोग के पास शिकायतों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। पिछले एक साल में 1079 शिकायतें महिला आयोग के पास पहुंची। गुरुग्राम की 93, रोहतक से 91 और सोनीपत की 8 महिलाएं उत्पीडऩ की शिकायतें लेकर आयोग के पास पहुंची।
  • महिलाओं के प्रति अपराध रोकने के लिए पुलिस अधीक्षकों की जवाबदेही तय की गई है। सुस्त अफसरों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ड्यूटी पर जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। स्कूल-कॉलेजों और ट्यूशन सेंटर के आसपास गश्त तेज करते हुए पुलिस कप्तानों को सुनसान इलाकों में मूवमेंट बढ़ाने की हिदायत दी है। उच्च पुलिस अधिकारी रोजाना समीक्षा रिपोर्ट भेजेंगे और जहां भी अफसर की कोताही मिली, उसे तुरंत निलंबित किया जाएगा। - बीएस संधू, पुलिस महानिदेशक
  • महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार गंभीर है। विशेष अदालतें गठित कर दुष्कर्म के मामलों को छह महीने में निपटाया जाएगा। बहुत जल्द नेशनल इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम लागू करते हुए डायल-100 की सुविधा दी जाएगी। सभी पुलिस अधीक्षकों को नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में आधा घंटे के भीतर मौके पर पहुंचने की हिदायत दी गई है। स्टेट्स रिपोर्ट मुख्यालय को भेजना अनिवार्य होगा। मनचलों पर शिकंजा कसने के लिए जल्द ही 1091 नंबर को अपडेट कर चालू किया जाएगा जिस पर काल करते ही पता चल जाएगा कि अपराधी किस स्थान पर है। महिला अपराध रोकने के लिए सभी विभागों की तालमेल कमेटी बनाई जाएगी। - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा
  • सरकारी तंत्र की विफलता से प्रदेश में हर दिन निर्भया कांड दोहराया जा रहा है। वर्ष 2012 में दिल्ली में निर्भया की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में सामूहिक चेतना ने देश में विद्रोह की स्थिति पैदा कर दी थी। अब एक बार फिर ऐसे हालात पैदा हो गए हैं जिनमें लोगों के पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करा दोषियों को छह महीने में कड़ी सजा मिलनी चाहिए। - अभय चौटाला, विपक्ष के नेता
  • प्रदेश में कानून व्यवस्था बुरी तरह चौपट हो चुकी। महिलाओं से हैवानियत की हदें पार करती घटनाओं के बावजूद सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है। हमने राज्यपाल से मुलाकात कर महिला सुरक्षा के लिए ठोस उपाय करने की गुजारिश की है। सरकारी की सख्ती और सामाजिक चेतना से ही महिला अपराध में कमी लाई जा सकती है। - भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री