साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विवादित फिल्म पद्मावत पर कुछ राज्यों में लगी रोक हटा दी है। अब यह फिल्म देशभर में 25 जनवरी को एक साथ रिलीज होगी। फूलन देवी पर बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ को मिली मंजूरी का
हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले भी कई ऐसी फिल्में थीं जिन पर वास्तव में किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ ने भी शीर्ष अदालत का टेस्ट पास किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में पद्मावत की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने संबंधी राजस्थान और गुजरात सरकार की अधिसूचनाओं पर रोक लगाने के साथ ही अन्य राज्यों को भी ऐसे आदेश व अधिसूचनाएं जारी नहीं करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों की जिम्मेदारी है।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ गुरुवार को वायकॉम 18 और फिल्म के अन्य निर्माताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। निर्माताओं ने चार राज्यों- गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश द्वारा फिल्म पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि राजस्थान, गुजरात और हरियाणा की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने बताया कि इस आशय की अधिसूचना सिर्फ गुजरात और राजस्थान ने ही जारी की है। उन्होंने कहा, इस तरह की खुफिया रिपोर्टे मिली थीं कि फिल्म के प्रदर्शन से इन राज्यों में कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है, जबकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) यानी सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट जारी करते समय इन पहलुओं पर शायद ध्यान नहीं दिया। इस पर निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकीलों हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब रिलीज के लिए सर्टिफिकेट दे दिया गया है तो राज्यों को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश या अधिसूचनाएं जारी करने का अधिकार नहीं है। साल्वे ने निर्देशक प्रकाश झा (फिल्म ‘आरक्षण’) मामले में सुप्रीम कोर्ट के ही 2011 के आदेश का हवाला देते हुए कहा, शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का संवैधानिक दायित्व है।
पुनर्विचार याचिका करेंगे दायर - अम्मू: श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के संगठन महामंत्री सूरजपाल अम्मू ने कहा कि रानी पद्मावती के वंशज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। अम्मू ने पत्रकारों से कहा कि 25 को देश के किसी भी सिनेमाघर में पद्मावत फिल्म नहीं चलने दी जाएगी। उन्होंने सामाजिक संगठनों से अपील की कि वे पद्मावत फिल्म का बहिष्कार करें। अम्मू ने कहा कि वे या करणी सेना कोर्ट के निर्णय का अनादर नहीं कर रहे हैं, बल्कि जनभावनाओं से अवगत करा रहे हैं। फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा नहीं होगी, मगर सिनेमा घरों में 25 तारीख को कबूतर घूमेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति से भी अपील की कि वे देश का इतिहास बचाने के लिए फिल्म पद्मावत पर रोक लगाएं। अम्मू ने बताया कि राष्ट्रपति के समक्ष यह मुद्दा ले जाने के लिए करणी सेना ने राष्ट्रपति कार्यालय से समय भी मांगा है।