साभार: जागरण समाचार
हरियाणा राज्य सूचना आयोग के एक फैसले के बाद हरियाणा सरकार ने सभी कर्मचारियों को दहेज नहीं लेने का शपथपत्र देना अनिवार्य कर दिया है। जिनकी अभी शादी नहीं हुई और वे सरकारी नौकरी ज्वाइन करते हैं तो
उन्हें भी यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि शादी के बाद वे अपने बारे में समस्त जानकारी सरकार को शपथपत्र के जरिए मुहैया कराएंगे। दहेज नहीं लेने के शपथपत्र में कर्मचारी के अलावा उसकी पत्नी, पिता और ससुर के हस्ताक्षर भी अनिवार्य होंगे।
हरियाणा सिविल सर्विसेज (गवर्नमेंट इंप्लाइज कंडक्ट) रूल्स 2016 में सरकारी कर्मचारियों द्वारा दहेज नहीं लिए जाने के नियम का प्रावधान किया गया था। मगर कर्मचारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। इस पर राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने 16 नवंबर को जारी आदेश में सरकार को निर्देश दिए थे कि वह नियमों का सही ढंग से अनुपालन कराएं।
इसके बाद मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने हरियाणा सिविल सर्विसेज (गवर्नमेंट इंप्लाइज कंडक्ट) रूल्स 2016 की समीक्षा की। समीक्षा के बाद मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी मंडलायुक्त, जिला उपायुक्त और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजे पत्र में कहा कि हर कर्मचारी शादी के बाद अपने विभागाध्यक्ष को दहेज न लेने संबंधी शपथपत्र देगा।
पत्नी को नहीं माना जा सकता थर्ड पार्टी: हरियाणा राज्य सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने दहेज से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को हिदायतें जारी की थी कि सेवा नियमों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। सूचना आयुक्त ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि हरियाणा सिविल सेवा नियम 2016 की धारा-18 (2) महज औपचारिकता बनकर रह गई है। उन्होंने आबकारी एवं कराधान विभाग के कर्मचारी से जुड़े मामले में फैसला सुनाया कि किसी भी केस में पत्नी थर्ड पार्टी नहीं हो सकती।
इसलिए किया गया यह प्रावधान: देश और समाज में आज पति-पत्नी के झगड़े आम बात है। झगड़े जब कोर्ट कचहरी में पहुंचते हैं तो मामला दहेज तक पहुंचता है। कर्मचारी द्वारा दिए गए शपथ पत्र को न्याय का आधार बनाया जा सकता है। यदि कोई कर्मचारी शपथ पत्र जमा ही नहीं कराता तो वह कठघरे में खड़ा हो सकता है।