साभार: भास्कर समाचार
समाजसेवी अन्ना हजारे ने सोमवार को राजघाट पर एक दिन का सत्याग्रह करने के बाद कहा कि वे एक बार फिर दिल्ली से जनलोकपाल कानून के लिए दिसंबर में आंदोलन करेंगे। आंदोलन की पूरी रूपरेखा तैयार करने
के लिए उन्होंने 7 और 8 अक्टूबर को रालेगांव सिद्धि में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है। अन्ना हजारे ने कहा कि तीन साल पहले देशवासियों ने भाजपा को बड़ी उम्मीद से वोट दिया था। लोगों को लगा था कि भ्रष्टाचारमुक्त भारत के लिए लोकपाल लोकायुक्त की नियुक्ति होगी। काला धन 30 दिन में वापस आएगा। किसानों की आत्महत्या रुकेगी। महिलाओं को सुरक्षा होगी। पर बीते तीन सालों में हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ। फेरबदल सिर्फ सत्ता में हुआ है। अन्ना ने कहा कि लोकपाल-लोकायुक्त नियुक्त हुआ और ही काला धन वापस आया। पैदावार का उचित दाम मिलने से आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। भ्रष्टाचार रोजाना बढ़ता जा रहा है। अन्ना ने कहा कि पिछले तीन सालों में उन्होंने प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री के पास उन जैसे सामान्य आदमी के पत्रों का जवाब देने का वक्त नहीं हैं। वह जवाब बड़े-बड़े लोगों उद्योगपतियों को शायद जवाब देते होंगे। उन्होंने कहा कि फोर्ब्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत एशिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से हैं। भ्रष्टाचार पर इसी तरह की रैंकिंग दूसरी वैश्विक संस्थानों ने भी दी है। अन्ना ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत को बनाने के लिए 2011 में रामलीला मैदान में आंदोलन किया था। इसके बाद 27 अगस्त 2011 को संसद में रिज्युलेशन पास किया गया था। इसमें केंद्र में लोकपाल, हर राज्यों में लोकायुक्त और सिटिजन चार्टर जैसे मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था।
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कुछ भी नहीं किया: अन्ना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कुछ भी नहीं किया। बीते साल जुलाई में लोकपाल लोकायुक्त कानून की धारा 44 में संशोधन करके अधिकारियों के परिवारिक सदस्यों संपत्ति की जानकारी देने के प्रावधान को हटा दिया गया। हैरानी यह है कि संसद में बहस तक नहीं हुई। उलटे तीन में ही संशोधन प्रभावी कर दिया गया। ऐसे कानून बनाए गए, जिससे भ्रष्टाचार को संरक्षण मिलता है।
अब कोई नहीं बन सकेगा अरविन्द केजरीवाल: अन्ना ने अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अरविन्द मुझे पूछेगा नहीं और यदि पूछेगा तो मैं उससे कहूंगा कि वो मुझसे पांच कदम दूर रहे। इस बार आंदोलन में शामिल होने वाले लोग राजनीति में नहीं जाएंगे जो भी मेरे साथ आंदोलन में आएगा उन्हें यह एफिडेविट देना होगा कि वो राजनीति में नहीं जाएंगे। यदि जाएंगे तो मैं उन्हें कोर्ट ले जाऊंगा।