साभार: भास्कर समाचार
रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट, यानी वह ब्याज दर जो आरबीआई बैंकों को दिए कर्ज पर वसूलता है, 6% बरकरार रहेगा। हालांकि सरकारी बांड में बैंकों के निवेश की सीमा यानी एसएलआर
0.5% घटाकर 19.5% कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक इससे बैंकों के पास कर्ज देने के लिए 57,000 करोड़ रुपए ज्यादा होंगे। बुधवार को इस वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि महंगाई बढ़ने के कारण रेपो रेट कम नहीं किए गए। अगस्त में महंगाई दर 3.36% थी जो 5 महीने में सबसे ज्यादा है। हालांकि रिजर्व बैंक ने महंगे कर्ज के लिए एक बार फिर बैंकों की आलोचना की। कहा कि एमसीएलआर की व्यवस्था में कर्ज लेने वालों को रेट कट का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। आरबीआई के स्टडी ग्रुप ने अलग बेंचमार्क का सुझाव दिया है, जिससे लोगों को कम समय में रेट कट का फायदा मिले। रिजर्व बैंक इस पर 25 अक्टूबर तक फैसला करेगा।
एसएलआर 0.5% घटा 19.5% किया है। कटौती 14 अक्टूबर से प्रभावी होगी। इससे कर्ज देने के लिए बैंकों को 57,000 करोड़ रु. ज्यादा मिलेंगे। हालांकि बैंकरों का कहना है कि इससे फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि उन्होंने पहले ही बाॅन्ड्स में तय सीमा से ज्यादा निवेश कर रखा है। कुछ बैंकों का एसएलआर तो 25% से भी ज्यादा है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि जीएसटी का विपरीत असर भी हुआ है। इससे मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ कम हुई है। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन सिर्फ 1.2% बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसमें 4.5% ग्रोथ रही थी। आईआईपी में 77.6% हिस्सेदारी रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन जुलाई में सिर्फ 0.1% बढ़ा। यह जुलाई 2016 में 5.3% बढ़ा था।
अक्टूबर-मार्च में खुदरा महंगाई का अनुमान बढ़ाकर 4.2-4.6% किया गया है। खान-पान और ईंधन छोड़ बाकी चीजें उम्मीद से ज्यादा महंगी हुई हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक पैकेज और किसानों की कर्ज माफी से सरकारी घाटा 1% बढ़ सकता है। इससे महंगाई 0.50% बढ़ सकती है। सरकार ग्रोथ रेट बढ़ाने के लिए 50,000 करोड़ का पैकेज दे सकती है।
रिजर्व बैंक ने ग्रॉस वैल्यू एडे (जीवीए) ग्रोथ 7.3% से घटाकर 6.7% किया है। जीडीपी में टैक्स जोड़ने और सब्सिडी घटाने से जीवीए निकलता है। जीडीपी ग्रोथ 6 तिमाही से घटते हुए 5.7% रह गई है। यह 3 साल में सबसे कम है। हमारी जीडीपी करीब 150 लाख करोड़ रु. की है। 0.6% कम ग्रोथ का मतलब है कि जीडीपी 90,000 करोड़ रुपए कम बढ़ेगी।