साभार: भास्कर समाचार
आंखें बंदकरें और केवल ख्याल करें कि दिल प्रकाश से भरा है। किसी चमक को देखने का प्रयास करें, क्योंकि प्रकाश दिखता नहीं हैं। फिर किसी ऐसी चीज को याद कीजिए, जिससे ग्रेटीट्यूड यानी आभार की भावना अपने-
अाप पैदा होती हो। सुबह की ताजी हवा, पक्षियों का चहचहाना या पिछले दिन किसी की मदद करके मिली खुशी की याद भी हो सकती है। कल्पना करें की कृतज्ञता आपके दिल से निकलकर दुनिया में फैल रही है। पहले दिन शायद इसमें आपको साठ सेकंड से कुछ ज्यादा वक्त लग जाए। यह मेडिटेशन आपके पूरे दिन को समृद्धि और दिन में आप तक पहुंचने वाली सकारात्मक बातों के लिए सराहना से भर देगा। इसका सूत्र है: अाप वह नहीं है जो आप करते हैं, आप वह हैं जो आप नियमित रूप से लगातार करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि आप उदास नहीं होंगे, दिनभर का काम आपको निचोड़ नहीं डालेगा। लेकिन दिन-प्रतिदिन खुद को बेहतर पाएंगे। यही कृतज्ञता है अौर साठ सेकंड के ग्रेटीट्यूड मेडिटेशन का असर।
अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक आभार की भावना से हमें सेहत के ये लाभ मिलते हैं:
- रक्त में रोगों से लड़ने वाले कण डब्ल्यूबीसी बढ़ते हैं
- कार्टीसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन 23 फीसदी कम हो जाते हैं।
- आपके व्यायाम करने की संभावना 36 फीसदी बढ़ती है।
- दर्द और मुश्किलों से निपटने की क्षमता बढ़ती है।
- अाप दूसरों के गुणों और उपलब्धियों की तारीफ करते हैं।
- आप 25 फीसदी अधिक प्रसन्नता अनुभव करते हैं।