साभार: जागरण समाचार
नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि मैं इस बात को नहीं मान सकता कि हमारे बच्चों की मासूमियत, मुस्कुराहट और आजादी लगातार छीनी जा सकती है। उनका दमन किया जा सकता है। ये आम
अपराध नहीं हैं। हमारे देश को प्रभावित कर रही यह एक नैतिक महामारी है। सत्यार्थी ने कहा कि बच्चे घरों, स्कूलों या आस-पड़ोस तक में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। ऐसी घटनाओं के गुनहगार आजाद घूमते हैं। हम चुपचाप सब देखते नहीं रह सकते, जिस तरह का माहौल बना हुआ है। उसे देखते हुए मैं भारत को कतई बलात्कारियों का देश नहीं बनने दूंगा। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए भारत यात्र शुरू की गई है। खातीवास स्थित संस्कारम पब्लिक स्कूल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आज यह कैसी आजादी है? लोग डर कर जी रहे हैं। 1बेटी शाम को एक घंटा लेट आती है तो मां एक घंटे में दर्जनों में कॉल कर देती है। हो सकता है वह अपने दोस्तों में हो, लेकिन भय का माहौल है। ऐसे में इसे क्या कहें, यह डर है या आजादी। कोई बोले न बोले सत्यार्थी तो जरूर बोलेगा। भारत यात्र के तहत रेवाड़ी से होते हुए माछरौली स्थित राजकीय विद्यालय में बच्चों को संबोधित करने के बाद खातीवास पहुंचे कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि उन्होंने बलात्कार, यौन उत्पीड़न तथा बाल तस्करी जैसे अपराधों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की है। 1उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत यात्र अभियान भारत को बच्चों के लिए फिर से सुरक्षित बना देगा। चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि देश में जिन बच्चों के साथ यौन शोषण होता है, उनके माता-पिता शिकायत करने से डरते हैं कि बदनामी होगी। यह एक युद्ध है जो माता-पिता को जागरूक करने के लिए छेड़ा गया है। भारत यात्र के दौरान सत्यार्थी रेवाड़ी और रोहतक भी पहुंचे। नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि मैं इस बात को नहीं मान सकता कि हमारे बच्चों की मासूमियत, मुस्कुराहट और आजादी लगातार छीनी जा सकती है। उनका दमन किया जा सकता है। ये आम
गुरुग्राम की घटना से प्रदेश का नाम देश में हुआ बदनाम: खातीवास स्कूल में बच्चों द्वारा किए गए भव्य स्वागत से अभिभूत दिखे कैलाश सत्यार्थी ने दीप प्रज्वलन के बाद जब अपना संबोधन शुरू किया तो उन्होंने कहा कि गुरुग्राम की घटना से प्रदेश का नाम देशभर में बदनाम हुआ है। यात्र के दौरान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रद्युम्न के माता पिता का फोन उनके पास आया था कि बच्चे का क्या कसूर था। वह तो पढ़ने के लिए गया था। उस दिन उसके दोस्त का जन्मदिन था और बहुत खुश था। उन्होंने हर बच्चे से हाथ खड़ा करवाते हुए पूछा कि क्या वह भी सुरक्षित बचपन चाहते हैं। सैंकड़ों बच्चों और उनके अभिभावकों की मौजूदगी में उन्होंने शपथ भी दिलवाई और आह्वान किया कि वह न तो रुकेंगे, न झुकेंगे और न ही डरेंगे।
बच्चों संग घिनौना कृत्य करने वालों में जानकार अधिक: सत्यार्थी ने कहा कि रिपोर्ट में सामने आया है कि बच्चों के साथ घिनौना अपराध करने वाले 70 फीसद लोग परिवार के जानकार या परिचित ही होते हैं। इस मौके पर उनके साथ बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य एवं यात्र के प्रदेश संयोजक बाल कृष्ण गोयल, दैनिक जागरण हिसार यूनिट के महाप्रबंधक राहुल मित्तल, स्कूल के चेयरमेन महिपाल, एसडीएम प्रदीप कौशिक, डीएसपी हंसराज बिश्नोई, अजीत, टीनू फौगाट, अरूण सैनी, पीओ विकास वर्मा मुख्य रूप से मौजूद रहे।
बच्चों के साथ बेहद सरल हैं कैलाश: कैलाश सत्यार्थी किस हद तक सभी के साथ सहज हैं। इसका अंदाजा उनके व्यवहार से देखने को मिलता है। स्कूल में बच्चों से मुलाकात के दौरान की बात हो या उनसे अभिवादन स्वीकार करने की। हर जगह वह ऐसे मिले, जैसे कि वह उन्हें पहले से जानते हों। एक जहां बड़े उनके साथ फोटो करवाने को आतुर दिखे, वहीं उन्होंने बच्चों के बीच में जाते हुए खूब सेल्फी खींची। इस दौरान उनकी धर्मपत्नी सुमेधा सत्यार्थी भी मौजूद रहीं।