साभार: जागरण समाचार
12 साल बाद भी एयरसेल-मैक्सिस डील घोटाला पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का पीछा नहीं छोड़ रहा है। मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत इस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पी. चिदंबरम के घर
और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के नौ स्थानों पर छापे मारे। ईडी का आरोप है कि वित्त मंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने अवैध तरीके से एयरसेल में विदेशी निवेश के लिए मलेशिया की कंपनी मैक्सिस को एफआइपीबी क्लीयरेंस दी थी। इस मामले में ईडी पहले भी कार्ति चिदंबरम के करीबियों के ठिकानों पर छापा मार चुकी है।
ईडी एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पी. चिदंबरम ने एयरसेल में मैक्सिस के 3500 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की अनुमति दी थी। जबकि वित्त मंत्री के रूप में उन्हें केवल 600 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की अनुमति देने का अधिकार था। इससे अधिक विदेशी निवेश की अनुमति केवल आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ही दे सकती है। आरोप है कि इसके एवज में मैक्सिस ग्रुप की कंपनियों ने कार्ति चिदंबरम की कंपनियों में भारी निवेश किया था, जिसे जांच एजेंसी रिश्वत की रकम मानती है। ईडी इसी से जुड़े मामले में कार्ति चिदंबरम की लगभग एक करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त भी कर चुकी है। शनिवार सुबह ईडी के अधिकारी अदालत का सर्च वारंट लेकर पी. चिदंबरम के दिल्ली स्थित घर पर पहुंच गए। इसके साथ ही चेन्नई के नौ अन्य स्थानों पर भी ईडी ने छापा मारा। इनमें कार्ति चिदंबरम के घर और उसके करीबियों के ठिकाने शामिल हैं।
चेन्नई में शनिवार को वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)ने छापे की कार्रवाई की। दिल्ली की पटियाला हाउस स्थित विशेष सीबीआइ कोर्ट में एयरसेल-मैक्सिस डील से जुड़े सभी आरोपियों के बरी होने के बावजूद छापे की कार्रवाई को सही बताते हुए ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालत ने सीबीआइ की एफआइआर निरस्त नहीं की है, उस पर आगे की जांच अभी भी जारी है। इस आधार पर उसका मनी लांडिंग का केस खत्म नहीं हुआ है। अदालत ने ईडी के केस को सही पाने के बाद ही सर्च वारंट जारी किया है।