Thursday, January 11, 2018

एक जून से आधार की सुरक्षा के लिए वर्चुअल आईडी; आधार की जगह दे सकेंगे 16 डिजिट का अस्थायी नंबर

साभार: जागरण व भास्कर समाचार
आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों को देखते हुए अब इसमें कुछ बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। आधार कार्ड और इसके इस्तेमाल को लेकर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) ढांचागत
बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत वर्चुअल आइडी की शुरुआत की जाएगी। अब सुविधाओं का लाभ लेने के लिए 12 अंकों वाला आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा। इसके बदले लोग वर्चुअल आइडी का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह वर्चुअल आइडी 16 अंकों का होगा और इसे आधार की वेबसाइट से जनरेट किया जा सकेगा। इससे लोगों की पहचान सुरक्षित रहेगी। साथ ही ‘अपने ग्राहक को जानो’ की सुविधा को भी सीमित किया जाएगा। 
इसी साल एक जून से नए प्रावधान लागू कर दिए जाएंगे। यदि कोई एजेंसी इसके बाद अपने यहां नए नियम लागू नहीं करेगी, तो उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा। यूआइडीएआइ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हाल के दिनों में आधार की निजता को लेकर कई सवाल उठे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए आधार को और मजबूत करने के लिए नई प्रक्रियाएं शुरू की गई हैं। उल्लेखनीय है कि अब तक देश में करोड़ आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। बैंक, टेलीकॉम, सार्वजनिक वितरण और आयकर जैसे विभागों में इसका उपयोग किया जा रहा है।
क्या है वर्चुअल आइडी: यह 16 अंकों की अस्थायी आइडी होगी, जो आधार नंबर से बनाई जाएगी। इससे किसी भी व्यक्ति का आधार नंबर नहीं निकाला जा सकेगा। किसी भी समय पर एक आधार से एक ही वर्चुअल आइडी बन सकती है। कोई भी व्यक्ति जितनी बार चाहे, वर्चुअल आइडी बना सकेगा। हालांकि, नई आइडी बनते ही पुरानी आइडी खत्म हो जाएगी। जब भी ‘अपने ग्राहक को जानो’ की जरूरत होगी, तब फिंगर प्रिंट के साथ वचरुअल आइडी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। वचरुअल आइडी की नकल नहीं की जा सकेगी। यह आधार कार्ड धारक ही जनरेट कर पाएगा।’
कंपनियों ने तय समय में सुविधा नहीं दी तो जुर्माना: यूआईडीएआई ने कहा है कि अब तक 119 करोड़ लोगों को आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं। वर्चुअल आईडी से आधार का डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। तय समयसीमा के बाद अगर सर्विस प्रोवाइडर एजेसियां लोगों को सुविधाएं नहीं देती हैं तो उनपर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।
नई व्यवस्था से असर - आधार उपयोग करने वाले की सीमित जानकारी ही ली जा सकेंगी: यह सर्विस प्रोवाइडर एजेंसियों के लिए है। इस सीमित केवाईसी के तहत यूजर की सीमित जानकारियां ली जा सकेंगी। अभी एजेंसियां केवाईसी के लिए आधार लेती हैं और उसे स्टोर कर लेती हैं। लिमिटेड केवाईसी सुविधा के बाद वह आधार नंबर स्टोर नहीं कर सकेंगी। एजेंसियों को बिना आधार नंबर पर निर्भर हुए खुद का केवाईसी करने की इजाजत होगी। एजेंसियां टोकन के जरिए यूजर्स की पहचान करेंगी। आधार के बजाय वर्चुअल आईडी से केवाईसी किया जाएगा। इसलिए आधार का डेटा रखने वाली एजेंसियों की संख्या भी कम हो जाएगी।