Thursday, January 11, 2018

पांच साल पहले सरकार ने जो मांग खारिज की थी, उसे माना: सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% FDI मंजूर

साभार: भास्कर समाचार
पांच साल पहले सरकार ने विदेशी कंपनियों की जाे मांग खारिज कर दी थी, उसे अब मान लिया है। सिंगल ब्रांड रिटेल में 100% एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही कैबिनेट ने विदेशी
निवेश नीति में कुछ और बदलाव किए। इससे सिंगल ब्रांड रिटेल स्टोर खोलने वाली विदेशी कंपनियों के लिए घरेलू बाजार से 30% कंपोनेंट खरीदने की शर्त आसान हो गई है। सिंगल ब्रांड रिटेल यानी दुकान में एक ही ब्रांड की चीजें बिकेंगी। अब तक इसमें ऑटोमेटिक रूट से 49% और अप्रूवल रूट से 100% एफडीआई की अनुमति थी। अप्रूवल रूट में कंपनियों को पहले सरकार के पास आवेदन करना पड़ता है। मंजूरी के बाद ही वे स्टोर खोल सकती हैं। ऑटोमेटिक रूट में उन्हें सिर्फ रिजर्व बैंक को निवेश की जानकारी देनी होगी। सरकार का दावा है कि इससे रोजगार और कमाई बढ़ेगी। एफडीआई पॉलिसी में मोदी सरकार का दूसरा बड़ा बदलाव है। जून 2016 में बदलाव से उस साल 60 अरब डॉलर एफडीआई आया था। 
पहला स्टोर खोलने के 5 साल तक लोकल सोर्सिंग के मामले में छूट: स्वीडिश कंपनी आइकिया ने 2013 में मांग रखी थी कि ग्लोबल ऑपरेशन के लिए भारत से खरीदे सामान को लोकल सोर्सिंग माना जाए। मई 2016 में एपल सीईओ टिम कुक ने मोदी से यही मांग रखी। नए नियम में ग्लोबल सप्लाई के लिए भारत से कंपोनेंट खरीदने पर घरेलू बाजार के लिए लोकल सोर्सिंग पर छूट मिलेगी। 1 अप्रैल से लागू होगा। 
फैशन सेगमेंट में एफडीआई ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं के बराबर: फैसला आइकिया एचएंडएम जैसी कंपनियों के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा। क्योंकि वे पहले ही यहां से सामान खरीद रही हैं। मोंटेकार्लो फैशंस के ईडी संदीप जैन के अनुसार जारा और बेनेटन जैसे फैशन ब्रांड पहले से भारत में मौजूद हैं। इन्होंने अप्रूवल रूट के जरिए यहां अपने स्टोर खोले हैं। इसलिए फैशन सेगमेंट में एफडीआई बढ़ने की उम्मीद नहीं है। 
कंज्यूमर को ज्यादा ब्रांड के विकल्प मिलेंगे: कंसल्टेंसी फर्म एटी कियर्नी के पार्टनर नितिन चंद्रा के अनुसार इससे कंज्यूमर को ज्यादा ब्रांड के विकल्प मिलेंगे और कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। फ्यूचर ग्रुप के सीईओ किशोर बियानी ने कहा कि कंज्यूमर नए प्रोडक्ट खरीदने के लिए तैयार हैं, भले ही उनकी कीमत ज्यादा ही क्यों हो। 
2012 में रिटेल में एफडीआई के खिलाफ थी भाजपा: 
मैं हैरान हूं कि प्रधानमंत्री कर क्या रहे हैं। रिटेल के लिए एफडीआई को परमिट दे दिया गया है। छोटे व्यापारियों की दुकानों में ताला लगाने का निर्णय लिया गया है। रिटेल में ऐसा मार्केट शुरू होगा, तो हिंदुस्तान के छोटे व्यापारियों के पास कौन खरीदी करने आएगा। - नरेंद्र मोदी, 2012 में गुजरात के सीएम रहते रैली में
तीन और बड़े फैसले: 
  1. कर्ज में डूबी एअर इंडिया का कंट्रोल भारतीय को ही: बेचनाहोगा अासान, 51% इक्विटी भारतीय के पास रहेगी: विदेशी एयरलाइंस एयर इंडिया में भी 49% निवेश कर सकती हैं। इससे सरकार को 48,877 करोड़ रुपए कर्ज वाली एयर इंडिया को बेचने में आसानी होगी। 51% इक्विटी भारतीय कंपनी या व्यक्ति के पास रहेगी। इस तरह कंट्रोल भारतीय के पास ही रहेगा। 
  2. रियल एस्टेट - विदेशीकंपनियां बिना भारतीय खोल सकेंगी कंसल्टेंसी फर्म: रियल एस्टेट ब्रोकिंग बिजनेस में ऑटोमेटिक रूट से 100% विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। यानी विदेशी प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी कंपनियां बिना किसी भारतीय पार्टनर के यहां ब्रांच खोल सकती हैं। रेरा लागू होने के बाद दोबारा इसकी अनुमति देना अच्छा कदम है। 
  3. पावर एक्सचेंज: एफआईआई भी प्राइमरी मार्केट में ले सकेंगे हिस्सेदारी: पावर एक्सचेंज पर बिजली खरीद-बिक्री की ऑनलाइन ट्रेडिंग होती है। अभी इनमें ऑटोमेटिक रूट से 49% एफडीआई की इजाजत है। एफआईआई सिर्फ सेकंडरी मार्केट से हिस्सेदारी खरीद सकते थे। नए फैसले में यह शर्त हटा दी गई है।