Thursday, January 4, 2018

फर्जी सर्टिफिकेट से दसवीं में प्रवेश लेने वाले छात्रों को हाई कोर्ट से राहत, HBSE को फटकार

साभार: जागरण समाचार 
पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड में फर्जी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के माध्यम से 10वीं में प्रवेश लेने वाले छात्रों को राहत दी है। हाई कोर्ट ने बोर्ड के रिजल्ट रद करने और एफआइआर दर्ज
करवाने के आदेशों को खारिज कर दिया है। हालांकि बोर्ड की जांच में सामने आता है कि जान-बूझकर फर्जी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) मंजूर किए हैं तो स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। 
बोर्ड के आदेशों से प्रभावित छात्रों और स्कूलों ने दायर याचिका में हाई कोर्ट को बताया कि उन्होंने 2013 में 9वीं के एसएलसी के आधार पर दसवीं में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। बोर्ड ने उनके एसएलसी पर शंका जताई थी। इस पर छात्रों की ओर से आवेदन कर कहा गया कि उन्हें हरियाणा ओपन स्कूल बोर्ड के आवेदक के तौर पर परीक्षा देने दी जाए। इस पर उन्हें परीक्षा में बैठने दिया गया और रिजल्ट भी जारी कर दिया था। बाद में जांच में एसएलसी फर्जी पाए जाने पर सभी छात्रों का रिजल्ट रद करते हुए स्कूलों को संबंधित छात्रों पर एफआइआर दर्ज करवाने के आदेश दिए। 
करते हुए हाई कोर्ट ने बोर्ड को दोषी मानते हुए कहा कि जब आवेदन 2013 में मिले थे तो फैसला दो साल बाद क्यों लिया गया। विद्यार्थी जीवन के लिहाज से दो वर्ष कैसे बर्बाद होने दिए जा सकते हैं। यदि बोर्ड ने समय पर निर्णय लिया होता तो छात्र वर्ष 2014 या 2015 में ओपन बोर्ड से आवेदन कर सकते थे। ओपन बोर्ड के अनुसार आवेदक को केवल 14 वर्ष का होना जरूरी है। इस शर्त को सभी याची छात्र पूरी करते हैं। इसलिए इसका खामियाजा छात्रों को भुगतने नहीं दिया जा सकता। साथ ही बोर्ड द्वारा स्कूलों को छात्रों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने के आदेश को भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।