Sunday, January 7, 2018

बाबा की आंखों में गरीबों के लिए पानी, इसलिए मरीजों को बांटते हैं दूध

साभार: जागरण समाचार 
यह ठीक है कि समाज में बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखकर दुख होता है। लेकिन सबकुछ बुरा भी नहीं है, न सब लोग बुरे हैं। अब बुजुर्ग हो चले पंडित कामराज को ही लें। उनके भीतर संवेदना है। आंखों में पानी है गरीबों के
लिए। इसलिए पंडित जी वर्षो से उन मरीजों को मुफ्त में दूध बांटते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि दूध खरीदकर पी सकें। यहां तक कि जब सर्दी शरीर को भेद रही होती है और शहर कोहरे की चादर में लिपटा हुआ होता है, वह संगम चैरिटेबल अस्पताल पहुंच जाते हैं। दो जनवरी को तड़के जागरण संवाददाता उनके साथ निकला। उन्होंने वार्ड संख्या 5 के दरवाजे पर धीरे-से दस्तक दी। आवाज लगाई, दूध ले लो जी ..। उस वार्ड की मरीज आरती की मामी कैलाश गिलास लेकर आई। कामराज ने दूध देकर कहा, बिस्कुट भी ले लो ..।
दस्तक और आवाज के साथ कामराज सभी वार्डो में गए। वार्ड 10 में ऑपरेशन करवाकर लेटी जींद जिले के कचराना गांव की संतरो के परिवार का सत्यवान आया था दूध लेने ..। बोला, भाई साहब दूध के पैसे ले लो। कामराज ने यह कहते हुए मना कर दिया कि अगर बासी रोटी बची हो तो दे दो .. गोवंश के काम आ जाएगी। चैरिटेबल अस्पताल की सुरक्षा से जुड़े बच्चन सिंह आर्य बताने लगे, आंधी आए अथवा तूफान, गर्मी में सुबह 5 बजे तथा सर्दियों में छह बजे दूध लेकर कामराज आते ही आते हैं।
औसत 25 लीटर दूध में डालते लौंग इलायची: फतेहाबाद जिले में टोहाना के संगम चेरिटेबल अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कामराज प्रतिदिन औसत लीटर पैक्ड दूध लेकर आते हैं। डेंगू वाले सीजन में तो यह मात्र 40 लीटर तक पहुंच जाती है। खास बात यह भी है कि सुबह जब वह दूध लेकर आते हैं तो अस्पताल के रसोईघर में गर्म करते हैं। लौंग व इलायची डालकर उसे खुशबूदार बनाते हैं।
जगन्नाथ की कृपा: टोहाना की नई अनाजमंडी में आढ़त की फर्म है रुलदूराम रमेश कुमार। दूध का खर्च कमोबेश यहीं से आता है। इस फर्म के संचालक जगन्नाथ गोयल का मानना है कि मरीजों के लिए दूध की व्यवस्था कर वे कतई स्वस्थ समाज की कल्पना में अपनी थोड़ी आहुति देते हैं। कामराज का श्रम व त्याग अनुकरणीय है।
रोगों से लड़ने की ताकत बांट रहे कामराज: संगम चेरिटेबल अस्पताल के डॉ. आरएस क्वात्र बताते हैं कि कम फैट का एक पाव दूध मरीजों को विटामिन-डी, कैल्सियम आदि की ताकत देता है। मरीजों को दूध पिलाकर रोगों से लड़ने की ताकत देने का कामराज का यह प्रयास काबिल-ए-तारीफ है।
इस तरह जागृत हुआ सेवा भाव: स्नातक पंडित कामराज शर्मा बताते हैं कि लगभग साल पहले वह अपने गुरुजी प्रेम प्रकाश शास्त्री के घर बैठे थे। गुरुजी ने कहा-मैं संगम अस्पताल जाता हूं। मेरी अब उम्र हो गई। सो, तुम मदद करो। उनके साथ अस्पताल जाने लगे। वहां मरीजों का दर्द देख द्रवित हो उठा। फिर तय किया कि इनकी सेवा करूंगा। चाह को राह मिली। रुलदूराम रमेश कुमार फर्म से दूध का खर्च मिलने लगा। फिर तो सेहतमंद समाज की कल्पना को मानो पंख ही लग गए।