Sunday, January 7, 2018

देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में 16 अभियुक्तों को सजा: लालू यादव इन द जेल फार थ्री यीअर्स

साभार: जागरण समाचार 
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा को चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89.04 लाख रुपये अवैध निकासी के मामले में साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है।
साथ ही दोनों पर दस-दस लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोनों को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।  
इसके अलावा पीएसी (लोक लेखा समिति) के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की सजा सुनाई गई। उन पर 20 लाख जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर जगदीश को दो वर्ष की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने शनिवार को यह सजा सुनाई। सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रखते हुए सजा के लिए चार बजे का समय निर्धारित किया। 1इस दौरान लालू सहित दोषी करार 16 अभियुक्तों को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन कनेक्ट कर पेश किया गया। अदालत ने ई-कोर्ट रूम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बारी-बारी से सभी दोषियों की हाजिरी ली। इसके बाद सजा सुनाई। देश का पहला ई-कोर्ट रांची में ही शुरू हुआ था। राजनीतिक नेता और सरकारी अधिकारियों को भादसं (आइपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) की अलग-अलग धाराओ में दोषी पाकर सजा सुनाई गई। साथ ही अलग-अलग जुर्माना भी लगाया गया। तीन राजनीतिक नेताओं में से दो लालू प्रसाद और डॉ. आरके राणा को दोनों धाराओं में 3.5-3.5 वर्ष की सजा सुनाई गई। साथ ही दोनों धाराओं में 5-5 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। देवघर के इस मामले को लेकर चारा घोटाला कांड संख्या 64ए/96 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 
23 दिसंबर को अदालत ने दिया था दोषी करार: इससे पूर्व लालू प्रसाद यादव सहित 16 अभियुक्तों को 23 दिसंबर 2017 को अदालत ने दोषी करार दिया था। इसके बाद सभी को सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए तीन जनवरी 2018 निर्धारित की थी। लेकिन रांची जिला बार एसोसिएशन के दो अधिवक्ताओं के निधन हो जाने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने आरोपियों के नाम अल्फाबेटिकल बांटकर चार और पांच जनवरी को पांच-पांच अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई की। साथ ही छह जनवरी को छह अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। इस मामले में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सहित छह लोगों को बरी कर दिया गया था।
अब निचली अदालत से जमानत नहीं: अब लालू प्रसाद को निचली अदालत से प्रॉविजनल बेल की कोई गुंजाइश नहीं है। लालू को जमानत के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर करनी होगी। हाई कोर्ट में अपील दायर करने और जमानत मिलने तक अब लालू प्रसाद व डॉ. आरके राणा सहित अन्य अभियुक्तों को जेल में और समय बिताना पड़ेगा। सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत तीन साल से ज्यादा सजा होने पर हाई कोर्ट को ही बेल देने का अधिकार है।
लालू को पहले मामले में हुई थी पांच साल की सजा: चारा घोटाले के एक अन्य मामले में 30 सितंबर 2013 को रांची स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद सहित कुल 45 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। तीन अक्टूबर 2013 को सीबीआइ की विशेष अदालत ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई और वे जेल भेज दिए गए थे। दो माह दस दिन बाद लालू प्रसाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए थे।