Sunday, January 7, 2018

जहाँ शिक्षकों की कमी, वहां सिलेबस पूरा करवाने के लिए बीएड विद्यार्थियों की ली जाएगी मदद

साभार: जागरण समाचार 
वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने को मात्र दो महीने शेष हैं। शैक्षणिक सत्र के दौरान छुट्टियां अधिक होने व सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी होने के कारण अभी तक सिलेबस ही पूरा नहीं हो पाया है। कई स्कूलों के हालात
यहां तक हैं कि शिक्षक न होने के कारण विषयों का सिलेबस शुरू नहीं हो पाया है। जबकि अंतिम समय रिवीजन का होता है।
विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए सत्र के अंत में अब शिक्षा विभाग बीएड करने वाले छात्रों की मदद लेने जा रहा है। ये छात्र स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। छुट्टियां खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग बीएड कॉलेज के अधिकारियों की मीटिंग लेने जा रहा है। जिसमें ये रणनीति बनाई जाएगी और बीएड छात्रों को स्कूलों में भेजा जाएगा। पिछले दिनों शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ जिला शिक्षा अधिकारियों की हुई मीटिंग में व्यवस्था बनाने के आदेश जारी हुए थे।
बीएड के विद्यार्थियों को पढ़ाने पर मिलेगा प्रशंसा पत्र: बीएड के छात्रों को उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जो कि उनके घर से कुछ ही दूरी पर हों ताकि उन्हें कोई आर्थिक खर्च न उठाने पड़े। जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग ने बताया कि स्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले बीएड के छात्रों को शिक्षा विभाग की तरफ से प्रशंसा पत्र दिया जाएगा। 
शहरी क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षक पूरे: शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार शहर व उसके आसपास के स्कूलों में स्थिति यह है कि वहां पर शिक्षक पूरे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति यह है कि वहां पर शिक्षकों की कमी है, हालात यहां तक हैं कि शिक्षक है ही नहीं। इसी के चलते बीएड कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में भेजा जाएगा। ये छात्र स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्था इस तरह बनाई जाएगी कि बीएड छात्र को दूर ही जाना होगा वह खुद के गांव के स्कूल ही में पढ़ा सकेगा। करीब डेढ़ से दो महीने तक बीएड के ये छात्र स्कूलों में पढ़ाएंगे।
  • स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, परीक्षाएं नजदीक है। सिलेबस पूरा करवाने व रिवीजन करवाने के लिए बीएड कर रहे छात्रों की मदद ली जाएगी। जल्द ही इसको लेकर मीटिंग बुलाई जा रही है। बीएड छात्रों को गांवों के स्कूल में भेजा जाएगा। - दयानंद सिहाग, जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद