साभार: जागरण समाचार
पहले नोटबंदी और फिर 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के बाद शुरुआती कुछ महीनों में कारोबार सहित समूची अर्थव्यवस्था की गति मंद होती दिखी थी। लघु एवं मध्यम कारोबारी वर्ग को
जीएसटी की वजह से कुछ ज्यादा ही मुश्किलें ङोलनी पड़ीं। हालांकि ईमानदारी से अपना कारोबार चलाने वाले लोगों ने इस भरोसे के साथ कष्ट सहकर भी मुश्किलों का सामना इसलिए किया, क्योंकि उनके मन में देर-सबेर अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने और कारोबार सुधरने की पूरी उम्मीद थी। उनके भरोसे को बनाए रखने के लिए सरकार अपनी ओर से भरसक कोशिश कर रही है और स्थितियों में कुछ हद तक सुधार भी हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में कारोबार जगत में तेजी बढ़ेगी। जाहिर है, इसका असर नौकरियों पर भी पड़ेगा, जिसकी स्थिति 2017 में अच्छी नहीं रही। टीम लीज सहित अन्य एजेंसियों के सर्वे भी यही बता रहे हैं कि जीएसटी से जुड़े तमाम क्षेत्रों की नौकरियों में 11 से लेकर 18 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।
डर के आगे जीत: पिछले करीब एक साल से सबसे ज्यादा चिंता ऑटोमेशन को लेकर जताई जाती रही है। नौकरियों में कमी की एक बड़ी वजह इसे भी बताया जा रहा है। लेकिन सरकार और विशेषज्ञ इसे सकारात्मक नजरिए से लेते हुए यह भी कह रहे हैं कि समय के साथ-साथ नई और उन्नत टेक्नोलॉजी आएगी ही, जो आदमी के काम को और आसान बना देगी। स्वाभाविक है कि इसकी वजह से जो काम मशीन करेगी, उसकी जगह नौकरी कम होगी ही। ऐसी स्थिति में इंसान के लिए अलग तरह के कौशल में खुद को निपुण करने की जरूरत महसूस होने लगी है। वक्त की जरूरत को समझते हुए डरने की बजाय इन नए तरह के कौशलों में शिक्षण-प्रशिक्षण की प्रक्रिया जितनी जल्दी हो सके, शुरू करने की जरूरत है।
कमी नहीं है मौकों की: अगर ऑटोमेशन की वजह से ज्यादातर इंसानों का काम मशीनें करने लगेंगी, तो हमें भी इससे आगे देखना और अवसर ढूंढ़ना होगा। इस स्थिति में आने वाले दिनों में ऑटोमेशन मशीन लर्निग के ऐसे जानकारों की अधिक संख्या में जरूरत होगी, जो ऑटोमेशन के काम में माहिर हों और जिनकी निगरानी में ऑटोमेशन के जरिए आउटपुट पहले की तुलना में कई गुना बढ़ाया जा सके। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स का क्षेत्र भी है। हमें निकट भविष्य में ज्यादा से ज्यादा रोबोटिक्स के जानकारों की जरूरत होगी। सबसे अच्छी बात यह है कि ये रोबोटिक्स दुर्गम और खतरनाक हालात (जैसे-आग, बर्फबारी, आपदा आदि) में भी काम करने में पूरी तरह सक्षम होगी। हां, तब हमें ऐसे रोबोट बनाने, उनकी प्रोग्रामिंग करने और उन्हें ऑपरेट करने वाले विशेषज्ञों की कहीं ज्यादा जरूरत होगी। इसी तरह बड़ी संख्या में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जानकारों की बदौलत हम तमाम कठिन क्षेत्रों में काम को आसान बना सकते हैं। यह भी माना जा रहा है कि जीएसटी की वजह से आने वाले महीनों में अधिकतम नौकरियां ई-कॉमर्स, ऑटोमोबाइल, लॉजिस्टिक, मीडिया, आदि सेक्टर्स में सामने आ सकती हैं।
सोचें कुछ नया: देश-दुनिया में कारोबार जगत की लगातार बदलती स्थिति को देखते हुए सिर्फ पारंपरिक पढ़ाई के कोई मायने नहीं हैं। जॉब मार्केट के अनुसार खुद को तैयार करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपनी रुचियों से इस मार्केट को जोड़कर देखने का व्यावहारिक प्रयास करें। इसके बाद यह तय करें कि कौन-सा अपडेटेड कोर्स आने वाले दिनों में आपको बेहतर प्लेसमेंट उपलब्ध करा सकता है। कोर्स उस संस्थान से करने को प्राथमिकता दें, जिसके कोर्स इंडस्ट्री/जॉब मार्केट की तात्कालिक जरूरतों पर आधारित हों और उसके अनुसार अपडेट भी होते हों। जहां इंडस्ट्री के साथ नियमित इंटरैक्शन कराया जाता हो। साथ ही, इंडस्ट्री के अनुभवी लोग भी एक्सपर्ट फैकल्टी पैनल में शामिल हों। जहां की उन्नत लैब में इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के अनुरूप सिखाया जाता हो।
बनें खतरों के खिलाड़ी: अगर आप किसी ऐसी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं, जहां जॉब पर छंटनी की तलवार लटक रही है, तो डरने या घबराने की बजाय बदलते वक्त के अनुसार अपनी योग्यता बढ़ाने और नई तकनीकों को सीखने का प्रयास करें। याद रखें कि रुचिपूर्वक सीखा गया कोई भी काम हमेशा काम आता है। इसकी जरूरत आपके वर्तमान संस्थान को भी पड़ सकती है और दूसरी कंपनियों में भी। इसलिए अपना उत्साह बनाए रखते हुए सीखने, जानने को हमेशा उत्सुक रहें।
पहल करें संस्थान: दुनिया और देश में जिस तरह तकनीक पर आधारित इंडस्ट्री/कारोबार की जरूरतें बदल रही हैं, उसे देखते हुए शिक्षण संस्थानों, नियामक अधिकरणों, विश्वविद्यालयों को भी नई चीजों को यथाशीघ्र अपनाने और उसके अनुसार शिक्षण-प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था करने की पहल करने की जरूरत है। उनकी पहल से देश के युवाओं को मजबूत और चमकदार दिशा मिल सकती है, जिससे अंतत: दुनिया में हमारे देश की अलग पहचान बन सकती है।