Wednesday, January 3, 2018

बच्चों की स्कॉलरशिप पर भारी अफसरों की सुस्ती; सिर्फ 1 करोड़ का भुगतान, 32 करोड़ बैंकों में पड़े

साभार: जागरण समाचार 
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे गरीब और मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति पर अफसरों की सुस्ती भारी पड़ने लगी है। प्राइमरी स्कूलों में जहां छात्रवृत्ति के लिए आवंटित आधी से अधिक राशि का भुगतान नहीं किया गया, वहीं
सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सिर्फ नाममात्र की स्कॉलरशिप दी गई। इसके तहत पिछले सत्र में प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को छात्रवृत्ति में कुल 2.86 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि करीब सात करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्थिति ज्यादा निराशाजनक है। यहां अध्ययनरत बच्चों के 32 करोड़ रुपये बैंकों में ही पड़े हैं, जबकि सिर्फ एक करोड़ रुपये ही विद्यार्थियों को दिए गए। 
समीक्षा बैठक में पिछले सत्र की खामियां उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग ने चालू सत्र में दी गई स्कॉलरशिप की रिपोर्ट तलब करते हुए तमाम जानकारी पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक राजीव रत्न ने इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के अलावा सभी संबंधित पक्षों को लिखित आदेश जारी किया है। बता दें कि शिक्षा विभाग अलग-अलग स्कीमों के तहत विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देता है। हर साल अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, बीपीएल और मेधावी छात्रों को चार किस्तों में स्कॉलरशिप दी जाती है। 
दरअसल शिक्षा निदेशालय के पास कई जिलों से बच्चों को स्कॉलरशिप की पूरी राशि नहीं मिलने की शिकायतें पहुंच रही थी। इस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक बुलाई तो अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई। 
समीक्षा बैठक में अनियमितताएं उजागर होने के बाद शिक्षा निदेशक ने साफ निर्देश किया बच्चों का पैसा तुरंत उनके खातों में डलवाया जाए। अगर कहीं कोई अड़चन है तो इसे दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि चालू सत्र में विद्यार्थियों को दी गई स्कॉलरशिप का पूरा ब्योरा बगैर किसी देरी के निदेशालय को भेजा जाए। साथ ही पूरी जानकारी पीएफएमएस पर भी डाली जाए ताकि पूरा सिस्टम पारदर्शी हो। मामले में ढिलाई बरतने वाले अफसरों पर विभागीय कार्रवाई होगी।