साभार: भास्कर समाचार
हिसार में एक एनजीओ की ओर से लोगों के साथ फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। उक्त एनजीओ ने 300-300 रुपए लेकर हजारों लोगों के हेल्प कार्ड बनाए। इस हेल्प कार्ड के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा योजना, दुर्घटना
सहायता, दुर्घटना पेंशन, मृत्यु सहायता, पारिवारिक पेंशन सहित वैवाहिक सहायता आदि सुविधाएं देने का वादा किया गया। लेकिन जब वास्तव में लोगों को इसकी जरूरत पड़ी तो तो कहीं एनजीओ नजर आई और ही पीड़ितों को इलाज मिला। जब लोगों ने खुद को ठगा महसूस किया तो सीएम विडो पर एनजीओ के खिलाफ शिकायत दी। सीएम विंडो की दी शिकायत में लोगों ने राष्ट्रीय जन कल्याण ट्रस्ट (एनजीओ) पर यह आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि एनजीओ चेन सिस्टम से कस्टमर ढूंढती थी। सभी से 300- 300 रुपये लिए जाते थे। यह चेन एक से दाे, दो से चार, चार से आठ करते हुए लगातार बढ़ती रही। हालांकि संगठन का दावा है कि वह भारत सरकार के केन्द्र श्रम कल्याण मंत्रालय से लोगों को यह सहायता दिलवाता है। इस कार्ड को बनवाने के लिए सुविधा मिलने पर अब लोगों ने धोखे हेल्प कार्ड बनाने वाले इस संगठन में कार्य कर चुकी रेखा बताती हैं कि इन्होंने पंजाब के लुधियाना, पटियाला में भी लोगों को जोड़ा है। हरियाणा, पंजाब और वेस्ट यूपी में मिलाकर करीब 20 हजार से अधिक लोगाें को जोड़ा है। हरियाणा में ही हिसार, भिवानी, जींद और सिरसा आदि जिलों में लोग जोड़े गए हैं।
- हो सकता है पीड़ित मेरे पास आए हों मैं इस मामले को दिखवाकर तत्काल एफआईआर कराती हूं। -मनीषा चौधरी, एसपी, हिसार
- केंद्रीय श्रम रोजगार मंत्रालय और केंद्रीय वाणिज्य उद्योग मंत्रालय के तहत लोगों को सुविधा दिलवाई जाती हैं। इस बार ग्रांट आने में देरी हो गई है। लोगों को पैसा दिया जाएगा। हम मंत्रालय को प्रोजेक्ट भेजते हैं इस पर वह हमें निज फंड से ग्रांट जारी करते हैं - अमित यादव, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय जन कल्याण ट्रस्ट (एनजीओ)
- आस पड़ोस की महिलाएं 300 रुपये में कार्ड बनवा रहीं थी तो हमने भी बनवाया। 300 रुपये में कई सुविधाएं देने का वादा था। अब कुछ नहीं मिल रहा। सभी लोग परेशान हैं। भोले लोगों को शिकार बनाना अब आम हो गया है। - नीतू, शिव नगर
- निजी फंड से ग्रांट जारी करने की बात गलत है। बिना डीसी संबंधित विभाग के कोई भी धनराशि सीधे किसी संस्था में नहीं जाती है। - डॉ. डी एस सैनी, जिलासमाज कल्याण अधिकारी
- कार्ड बनवाने के कुछ महीने बाद ही मेरे पति रामू तिवारी को पेट में इन्फेक्शन की बीमारी हुई, उपचार में 30,000 रुपये खर्च हो गए। सोचा था कार्ड से मुआवजा मिल जाएगा। संगठन के पदाधिकारियों ने मेरा नंबर ही उठाना बंद कर दिया। - रितू, आदर्श नगर
- कोई मंत्रालय एनजीओ को यह अनुमति नहीं देता कि वह हेल्प कार्ड जारी करे और ही किसी एनजीओ को सीधे ग्रांट जारी करता। - मुनीष कुमार, सहायक लेबर कमिश्नर, हिसार
- एक साल पहले मेरे लड़के जयचंद्र को दिमागी बीमारी हुई, हिसार के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। एनजीओ के पास पहुंचे तो कोई मदद नहीं हुई। हमने 300 रुपए दिए थे। उन्होंने बोला था सरकार मदद करेगी। - पार्वती, शिव नगर
जब सदस्य को ही नहीं मिली सहायता तो खुला मामला: मिल गेट निवासी रेखा बेरोजगार थीं एनजीओ ने सचिव बनाकर चेन को आगे बढ़ाने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि अपने कार्यकाल में एक हजार से ज्यादा लोगों के हेल्प कार्ड बनवाए। फिर एक दिन उनका एक्सीडेंट हुआ जब वह संगठन के पास मदद के लिए गईं तो कुछ बात नहीं बनी, फिर संगठन वालों ने फोन भी उठाने बंद कर दिए। इसके बाद उन्हें सच्चाई पता लगी कि जब उन्हीं की मदद नहीं हुई तो उन से जाने कितने लोग होंगे। रेखा ने एनजीओ की शिकायत पुलिस और प्रशासन दोनों से की है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों के उन्होंने कार्ड बनाए अब वह लोग भी लाभ मिलने पर घर शिकायत करने रहे हैं।