Sunday, January 7, 2018

Listening Management: ज्यादा बोलने से कहीं बेहतर है ज्यादा सुनना

साभार: भास्कर समाचार
  • ग्रीक फिलॉसफर एपिकटेटस ने कहा है कि हमारे दो कान और एक मुंह है, मतलब हमें बोलने से दोगुना ज्यादा सुनना चाहिए। 

लोगों को सुनना प्रभाव पैदा करने का सबसे अनोखा और सरल उपाय है। सुनकर ये जानने की कोशिश करनी
चाहिए कि लोग अखिर कहना क्या चाहते हैं। अक्सर वे दो ही तरह की बातें करते हैं। एक तो ये कि उन्होंने क्या हासिल किया और दूसरी उनकी समस्याएं। कुछ लोग ये बताते हैं कि उनके बच्चे कितने कमाल के हैं, उनके पास क्या-क्या है, उनके फ्यूचर प्लान क्या हैं, वगैरह। दरअसल लोगों को खुद के बारे में लगातार बात करना अच्छा लगता है। अपनी सम्सयाएं भी वे अकेले में खुलकर बताते हैं कि वे कितने अनलकी हैं, उन्हें किस तरह जलील होना पड़ता है, मैरिज पार्टनर क्या जुल्म करता है, बॉस किस तरह परेशान करते हैं, वगैरह। उन्हें बिना बोले सुनते रहना चाहिए। ऐसा इसलिए कि जब आप उन्हें ये बताने देते हैं कि उन्होंने कौन सी फिल्म देखी, या कौन सी किताब पढ़ी या उनके फ्यूचर प्लान क्या हैं तो वे ये मान लेते हैं कि आप मजेदार और खुशमिजाज व्यक्ति हैं। लेकिन अगर आप उन्हें सुने बिना ही खुद बोलने लगेंगे तो उन्हें लगेगा कि आप बहुत बोरिंग किस्म के हैं। जब वे अपनी समस्याएं बताएंगे और आप उन्हें सुनेंगे तो उन्हें लगेगा कि आप समझदार हैं, गंभीर और मददगार हैं। लेकिन इन्हें अपनी समस्याएं बताना ही बेहतर है। समझदार व्यक्ति कि यही पहचान है कि वो बहुत सारी बातें करने से बचता है। जब वो बात करता है तो बेहद कम शब्दों में, संक्षिप्त में बात कहता है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके कैल्विन कूलिज ऐसे ही थे। वे दूसरों को बात करने के लिए प्रोत्साहित करते थे लेकिन खुद केवल सुनते थे। हमारे एज्युकेशन सिस्टम में भी खूब बोलना सिखाया जाता है लेकिन सुनना कहीं नहीं सिखाया जाता। स्पीकिंग कोर्सेस हर जगह हैं लेकिन इफेक्टिव लिसनिंग के लिए कोई कोर्स नहीं है। शोध बताते हैं कि आम आदमी केवल 25 प्रतिशत दक्षता के साथ ही सुन पाता है। लिसनिंग एक्सपर्ट पॉल सैको का मानना है कि सुनने वाले भी अच्छे और औसत श्रेणी के होते हैं। हम सभी के अंदर अच्छे लिसनर के गुण हैं लेकिन ये कम ही लोग समझ पाते हैं कि कैसे इस स्किल का उपयोग करना है। हममें से ज्यादातर केवल सुनने की तकनीक पर ध्यान देते हैं। आई कॉन्टैक्ट और सिर हिलाना, वगैरह। जबकि अच्छे लिसनर्स नैचुरल अंदाज में दूसरों की बातें सुनते हैं।