Monday, January 1, 2018

CRPF कैंप में घुसे आतंकी 5 जवान शहीद, 3 दहशतगर्द ढेर

साभार: जागरण समाचार 
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के लेथपोरा क्षेत्र में 2017 के अंतिम दिन आतंकियों ने बड़े हमले को अंजाम दे दिया। 2016 के पठानकोट एयरबेस पर हमले की तर्ज पर सीआरपीएफ कैंप पर किए गए इस फिदायीन हमले में
पांच जवान शहीद हो गए और तीन अन्य घायल हो गए। 14 घंटे चली मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन आतंकी मार गिराए। 
रविवार शाम करीब चार बजे सीआरपीएफ, राष्ट्रीय राइफल्स व राज्य पुलिस के कैंप में घुसे आतंकियों के सफाए का अभियान खत्म हुआ। दो आतंकियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। तीसरे के शव की तलाश जारी है। 
पाक आतंकियों के आने तक भोगना पड़ेगा: जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से कश्मीर में आतंकी खतरे की सूचनाएं मिल रही थीं। अब तक उन्हें मौका नहीं मिला था। हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए वैद ने कहा, ‘जब तक पाकिस्तान आतंकी भारत में भेजता रहेगा, सुरक्षा बलों व कश्मीर की जनता को यह भोगना पड़ेगा।’
एक जवान की दिल का दौरा पड़ने से मौत: मुठभेड़ के दौरान पांचवे जवान की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। हमले में घायल तीन अन्य जवानों का इलाज अस्पताल में चल रहा है।
पठानकोट में भी जैश ने ही किया था हमला: जैश ने ही 2 जनवरी 2016 की रात पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। नए साल के शुरू में ही हुए इस हमले में 7 सैनिक शहीद हो गए थे।
कब कैसे हुआ हमला:
  • पुलवामा में सीआरपीएफ की 185 वीं बटालियन के कैंप में आतंकी शनिवार देर रात घुसे।
  • गेट पर तैनात संतरियों ने उन्हें ललकारा तो ग्रेनेड से हमला किया और अंधाधुंध फायरिंग करते हुए कैंप में घुसे
  • संतरियों के साथ उनका जमकर संघर्ष हुआ। यहीं तीन संतरी घायल हो गए। जिन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया।
  • कुछ देर परिसर में फायरिंग करने के बाद आतंकी एक इमारत में घुस गए। यहां आतंकियो की गालीबारी में चौथा जवान शहीद हो गया।
  • सीआरपीएफ के पीआरओ राजेश यादव ने बताया कि आतंकी भारी हथियारों से लैस थे।
  • इस कैंप के पास ही जम्मू-कश्मीर पुलिस का प्रशिक्षण केंद्र है।
शहीद जवान: फिदायीन हमले के शहीदों की पहचान कांस्टेबल शरीफुद्दीन गनेई निवासी चडूरा (बड़गाम), इंस्पेक्टर कुलदीप राय निवासी टिक्कर खतरियां हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), हेड कांस्टेबल तुफैल अहमद निवासी दादासनी बाला (राजौरी), कांस्टेबल राजेंद्र नैन निवासी गौरीसर चुरू (राजस्थान), कांस्टेबल प्रदीप पांडा निवासी गांव लिपलाय, राजगंगापु, सुंदरगढ़ (ओडिशा) के रूप में हुई।