साभार: जागरण समाचार
कहीं नाममात्र की बिजली यूनिटों पर लाखों रुपये का बिल तो कहीं चार-चार महीने तक बिलों का इंतजार। कहीं बिल में खामियों को ठीक कराने के लिए बिजली निगमों के दफ्तरों में धक्के खाते उपभोक्ता और कहीं व्यवस्था
को कोसते पीड़ित लोग। पूरे प्रदेश में यह नजारा आम है। नित नए प्रयोग करने में जुटा बिजली निगम अभी तक व्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पाया है। अति प्रयोगवाद का खामियाजा भुगत रहा है उपभोक्ता, जिसे समझ नहीं आता कि समस्या से पार पाने को वह कहां और किससे फरियाद करे।
प्रश्न यह है कि बिजली निगम बिल के वितरण के लिए कोई ऐसा तरीका क्यों नहीं अपनाते, जिससे अनियमितताओं पर अंकुश लग सके। प्रदेश में सभी घरों के मीटर गली में लगे हैं। रीडिंग नोट करने वाले कर्मचारी कब आते हैं और कब चले जाते हैं, उपभोक्ता को पता ही नहीं चलता। ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं होती कि रीडिंग के समय वह भी मौजूद हो? बिजली बिलों में अनियमितताओं को लेकर आक्रोशित लोगों के धरने-प्रदर्शन रोजमर्रा की बात हो चले हैं।
स्टाफ की कमी से जूझ रहे बिजली निगमों में पहले मीटर रीडिंग और बिल वितरण का काम लंबे समय तक सेवानिवृत्त सैनिकों ने संभाला जिनसे कभी लोगों की पटरी नहीं बैठी। इसकी बड़ी वजह हरियाणा एक्स सर्विस मैन लीग के लोगों द्वारा घर बैठ कर बिजली बिल तैयार कर देना था जिससे फर्जीवाड़े का ग्राफ लगातार बढ़ता चला गया। तमाम शिकायतों के बाद सरकार ने अप्रैल में मीटर रीडिंग का काम एनवाइजी पावर सॉल्यूशन को सौंपा, लेकिन समस्याएं कम होने के बजाय और बढ़ गईं। बिलों में वास्तविक मीटर रीडिंग से कहीं ज्यादा रीडिंग लिखे जाने के मामले बढ़ गए। इसी कारण पिछले दिनों इस कंपनी का भी ठेका रद कर दिया गया। अब निगम ने एक बार फिर अपने ही लाइनमैन और एएलएम के साथ अनुबंधित कर्मचारियों पर भरोसा जताया है।
बिल ठीक कराने में छूटते पसीने: बिजली कर्मचारियों और अफसरों के टरकाऊ रवैये से उपभोक्ता के लिए बिलों में खामी को ठीक कराना भी आसान नहीं होता। लंबी-लंबी कतारों में लगे ज्यादातर लोगों को फिर आने की बात कह कर लौटा दिया जाता है। हजारों मामले ऐसे हैं जिनमें बिल तो ठीक हुआ नहीं, ऊपर से भुगतान में देरी के कारण पेनाल्टी अलग से वसूली गई।
ऑनलाइन मीटर रीडिंग में भी खामियां: कई स्थानों पर मीटर रीडिंग ऑनलाइन ली जा रही हैं। मीटर रीडर डाटा केबल से रीडिंग लेकर इसका फोटो बिल सेक्शन से जुड़े एप पर भेज देता है। ऑनलाइन रीडिंग के साथ मैनुअल का भी ऑप्शन है ताकि फोटो में रीडिंग साफ दिखाई न दे तो हाथ से लिख दी जाए। इस ऑप्शन के चलते कई उपभोक्ताओं की रीडिंग गलत लिखी जा रही है। कुछ के मीटर ठीक हैं, फिर भी एवरेज के बिल भेज दिए गए। हालांकि विभाग का दावा है कि पहले मैन्युअल रीडिंग लेने के कारण कुछ उपभोक्ताओं की रीडिंग बकाया थी। ऑनलाइन रीडिंग लेने से ही बकाया रीडिंग का बिल आ गया।
सिस्टम तैयार, जवाबदेही होगी तय - शत्रुजीत कपूर: बिजली निगमों के चेयरमैन शत्रुजीत कपूर का दावा है कि जल्द ही गलत बिजली बिलों की समस्या खत्म हो जाएगी। इसके लिए पूरा सिस्टम तैयार किया जा रहा है। हर किसी की जवाबदेही तय होगी। बिल यदि गलत पहुंच भी गए तो उपभोक्ता की शिकायत पर कंपनी के प्रतिनिधि घर-घर जाकर इसे ठीक करेंगे। इसके अलावा सब डिवीजन स्तर पर हेल्प डेस्क बनाई गई हैं जहां गलत बिलों को तुरंत ठीक किया जाएगा। चेयरमैन ने बताया कि उपभोक्ताओं से निरंतर फीडबैक लिया जा रहा है। गलत बिल रोकने के लिए मीटर रीडर बिल डिस्ट्रीब्यूटर (एमआरबीडी) सिस्टम लागू किया जा रहा है। मीटर रीडर मौके पर जाकर मीटर की फोटो खींचेगा जिसके आधार पर बिल में रीडिंग भरी जाएगी। प्रयोग के तौर पर कुछ केंद्रों में इस सिस्टम से काम कराया जा रहा है, लेकिन तमाम खामियां दूर करने के बाद ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। यदि किसी उपभोक्ता के पास गलत बिल चला भी गया तो उपभोक्ता को टोलफ्री नंबर 1912 पर फोन करना होगा। हालांकि इस सर्विस के लिए टोकन मनी के रूप में मामूली भुगतान देना पड़ सकता है। खराब मीटर ठीक कराने, नए मीटर लगवाने और नए कनेक्शन के लिए भी इसी टोलफ्री नंबर की सेवाएं ली जा सकती हैं।
स्मार्ट मीटर खरीद का टेंडर हुआ, MoU बाकी: बिजली सिस्टम को स्मार्ट बनाने के लिए प्रथम चरण में 10 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के लिए खरीद का टेंडर हो चुका हैं। दक्षिण व उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम का एनर्जी एफिशियेंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल) के साथ एमओयू साइन होने के बाद मीटर को लगाने का काम शुरू होगा। उम्मीद है तीन से चार माह में प्रदेश में मीटर लगने शुरू हो जाएंगे। देश में हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश में यह स्मार्ट मीटर लगाए जाने है। बिजली निगम की तरफ से शुरुआत में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, करनाल आदि शहर में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू हो सकता हैं। स्मार्ट मीटर लगने के बाद मौजूदा मीटर की रीडिंग लेने के दौरान होने वाली गड़बड़ी से छुटकारा मिल जाएगा। कारण है मीटर लगने के बाद रीडिंग लेने के लिए कोई कर्मचारी उपभोक्ता के घर नहीं जाएगा। स्मार्ट मीटर होने के कारण ऑटोमैटिक रीडिंग निगम कार्यालय में ही डाटा बेस में दर्ज होगी। रीडिंग में कोई गड़बड़ी नहीं कर सकेगा। निगम सिर्फ बिल भिजवाएगा। इसमें बाहर की एजेंसी के लिए अलावा निगम के कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाएगी।
प्रीपेड की होगी व्यवस्था: यदि कोई बिजली उपभोक्ता बिल भरने से परेशान है और वह ज्यादातर घर से बाहर रहता है तो वह प्रीपेड सिस्टम का प्रयोग कर सकेगा। स्मार्ट मीटर में प्रीपेड सिस्टम भी मौजूद है, जिसमें व्यक्ति बजट अनुसार उसे रिचार्ज कर बिजली ले सकेगा।
स्मार्ट मीटर का ये होंगे फायदे: स्मार्ट मीटर लगने के बाद कनेक्शन काटने के लिए जाने की जरूरत नहीं। यदि कोई उपभोक्ता बिल नहीं भरता है तो उसका कनेक्शन कार्यालय से काट दिया जाएगा। यहां तक कि कोई अपने लोड से ज्यादा बिजली सप्लाई प्रयोग कर रहा है उस पर भी नजर रहेगी। बिजली चोरी करने के लिए छेड़छाड़ करते ही सिस्टम में उसके बारे में जानकारी पहुंच जाएगी।
- स्मार्ट मीटर लगाने का काम चार माह तक शुरू हो सकता है। टेंडर लगाए जा चुके है। एमओयू साइन होना बाकी है। इन मीटर के लगने के बाद रीडिंग ऑटोमैटिक सिस्टम में दर्ज होगी और गड़बड़ी से छुटकारा मिल जाएगा। उपभोक्ता प्रीपेड सिस्टम को भी अपना सकेगा। - एसके बंसल, डायरेक्टर ऑपरेशन, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम