साभार: जागरण समाचार
राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार और भी कदम उठा सकती है। पिछले हफ्ते चुनावी बांड की शुरुआत करने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ किया है कि यदि चुनावी चंदे को
पारदर्शी बनाने के लिए ठोस सुझाव आते हैं, तो उन पर जरूर विचार किया जाएगा। जेटली के अनुसार, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग को पारदर्शी बनाना जरूरी है।
फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में जेटली ने साफ किया कि चुनावी बांड पूरी राजनीतिक प्रणाली को पारदर्शी बनाने का एक कदम मात्र है। इस पर आगे भी काम होता रहेगा। उनके अनुसार फिलहाल शुरुआती सुझावों के आधार पर यह फैसला किया गया है। यदि इसके लिए नए सुझाव आते हैं, तो सरकार उस पर जरूर विचार करेगी। लेकिन, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सुझाव व्यावहारिक होने चाहिए। चुनावी फंडिंग को पारदर्शी बनाने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने राजनीतिक चंदे पर आयकर छूट देने का फैसला किया था।
पर्दे के पीछे से चलती पार्टियों को फंडिंग की व्यवस्था: अपने पोस्ट में जेटली ने बताया कि किस तरह से राजनीतिक दलों की मौजूदा फंडिंग की पूरी प्रक्रिया पर्दे के पीछे से चलती है। इसमें चंदा देने वाला भी छिपा होता है और लेने वाला भी नहीं बताता है कि किसने कितना चंदा दिया। पूरी तरह से नकदी में मिलने वाले चंदे को राजनीतिक दल खर्च भी नकद ही करते हैं। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है।