Thursday, January 4, 2018

तीन तलाक: बिल सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर अड़ा विपक्ष, एनडीए में फूट, टीडीपी भी विपक्ष के साथ

साभार: भास्कर समाचार
एक बार में तीन तलाक को अपराध करार देने वाला बिल कानून मंत्री ने बुधवार को राज्यसभा में पेश किया तो पूरा विपक्ष इसके खिलाफ एकजुट हो गया। पति को 3 साल की सजा समेत कुछ अन्य प्रावधानों का विरोध कर
रही कांग्रेस समेत 18 पार्टियां इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर अड़ गईं। इनमें एनडीए का घटक दल टीडीपी भी है। कांग्रेस ने जिन 17 नेताओं के नाम कमेटी सदस्य के तौर पर सुझाए, उसमें 6 सांसदों वाली टीडीपी का एक सांसद है। सरकार ने उनकी मांग मानने से इनकार कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ा कि राज्यसभा दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। वित्त मंत्री ने कहा कि अचानक बिल को कमेटी में भेजने का प्रस्ताव पेश कर कांग्रेस सदन की परंपरा तोड़ रही है। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम महिलाओं को मूर्ख बना रही है। 
  • हमें सुझाव दे सकते हैं, लेकिन कांग्रेस का कोई सुझाव नहीं - जेटली: कांग्रेस ने लोकसभा में बिल का इसलिए समर्थन किया, क्योंकि वहां वह इसे रोक नहीं सकती थी। उसके दोहरे रवैये का पर्दाफाश हो गया है। उसके कारण मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय होता रहेगा। देश में जो जनमत है, उसके कारण उन्हें विधेयक का समर्थन करना पड़ेगा। पार्टी विधेयक में सुधार का सुझाव दे सकते हैं, लेकिन उनका कोई सुझाव नहीं है। -अरुण जेटली, वित्त मंत्री 
  • गुजारा भत्ता की व्यवस्था सरकार करे, लेकिन वह तैयार नहीं - आजाद: कानून के अनुसार पति 3 साल के लिए जेल जाएगा, जबकि महिला को गुजारा खर्चा देने का जिम्मा भी पति का है। यह गुमराह करने वाला और महिला के साथ नाइंसाफी करने वाला है। हमने सलाह दी कि महिला के गुजारे की वित्तीय व्यवस्था सरकार करे, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। - गुलामनबी आजाद, राज्यसभा में विपक्ष के नेता 

राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं: तीन तलाक से जुड़ा मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लाेकसभा 28 दिसंबर को पास कर चुकी है। लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। इस मुद्दे पर टीडीपी के 6 सदस्यों के अलग हो जाने से एनडीए के 74 सांसद ही होते हैं, जबकि यूपीए के 95 और अन्य दलों के निर्दलीय सांसद 63 हैं। यूपीए अगर साथ नहीं देता है तो बिल पास करवाने के लिए सरकार को छोटे दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा। कांग्रेस का दावा है कि 150 सदस्य बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में हैं।