साभार: भास्कर समाचार
हरियाणा में अब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी 10वीं पास ही लगेंगे। राज्य की भाजपा सरकार अब सभी विभागों, बोर्ड-कॉरपोरेशन आदि के लिए एक समान न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता लागू करने जा रही है। हालांकि स्वीपर और चौकीदार के लिए 10वीं पास होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। इस फैसले पर 16 जनवरी को होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लगने की संभावना है।
सूत्रों के मुताबिक अभी तक ग्रुप डी में भर्ती के लिए विभागों ने अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग नियम बना रखे हैं। किसी विभाग में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास है तो किसी में 10वीं। जबकि कुछ विभागों ने केवल हिंदी ज्ञान और साक्षर होना ही काफी मान रखा है। लेकिन, प्रशासनिक सुधार में लगे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अब ग्रुप डी के पदों के लिए भी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास अनिवार्य करने का फैसला किया है। जबकि ग्रुप-सी के तहत क्लर्क की नौकरी में कंप्यूटर ज्ञान को पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है।
पहले किया था इंटरव्यू खत्म करने का फैसला: राज्य सरकार ने इससे पहले पिछले साल हरियाणा में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में इंटरव्यू खत्म करने का फैसला किया था। ग्रुप डी के पदों पर भर्ती में इंटरव्यू के लिए बनी समितियां भी भंग कर दी गई थीं। इसके साथ ही सरकार ने ग्रुप-सी में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ कंप्यूटर दक्षता के लिए राज्य योग्यता पात्रता परीक्षा (एसईटीसी) को अनिवार्य कर दिया था। जबकि ग्रुप डी के लिए पहले तय किया गया था कि जिन विभागों में ग्रुप डी के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता केवल हिंदी या अंग्रेजी की सामान्य जानकारी है, वहां योग्यता मिडिल पास होगी। जिन विभागों में यह योग्यता 10वीं और 12वीं है, वे यथावत रहेंगी। लेकिन अब सभी विभागों में ग्रुप-डी के लिए समान रूप से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं ही रखने का फैसला किया गया है।
मेंटेन होगा सभी कर्मचारियों का डाटा: सभी सरकारी कर्मचारियों का व्यक्तिगत डाटा मेंटेन करने के लिए सरकार ने एचआरएमएस पोर्टल तैयार किया है। सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों को इस पोर्टल पर अपना डाटा अपलोड अथवा अपडेट करने को कहा गया है। अब बोर्ड, कॉरपोरेशन, निगम, आयोग और विश्वविद्यालयों समेत तमाम सार्वजनिक उपक्रमों को भी एचआरएमएस साफ्टवेयर तैयार करके उसमें कर्मचारियों का डाटा अपलोड करने और उसे राज्य के एचआरएमएस पोर्टल से लिंक करने को कहा गया है। यह भी इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सरकारी नौकरियों में कार्यरत कर्मचारियों का जातिगत डाटा जुटाकर देने में सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।