भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने सीरीज शुरू होने के पहले कहा था कि विराट कोहली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम पहले की टीमों से बेहतर है और इस बार हमारी तैयारी पहले से बहुत ज्यादा है। यह दक्षिण
अफ्रीका में हमारी घरेलू सीरीज होगी, लेकिन जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों ने न्यूलैंड्स स्टेडियम में पहले टेस्ट में बल्लेबाजी की उससे साबित हो गया कि 1992 से लेकर अब तक कुछ नहीं बदला है। 1992 में मुहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका आई भारतीय टीम ने तो डरबन में सीरीज के पहले टेस्ट को ड्रॉ भी करा लिया था, लेकिन विराट की टीम तो चौथे दिन ही 72 रनों से पराजित होकर तीन मैचों की सीरीज में 0-1 से पीछे हो गई। भारत को अब भी विदेशी पिचों पर बल्लेबाजी की कला सीखने की जरूरत है। वह तो बारिश का शुक्रिया कहो, जो मैच चौथे दिन तक गया, नहीं तो टीम इंडिया मैच तीसरे दिन ही हार जाती। यही कारण है कि मैदान में मौजूद दक्षिण अफ्रीकी प्रशंसक कह रहे थे, दुनिया की नंबर दो टीम दक्षिण अफ्रीका ने बॉक्सिंग-डे टेस्ट में जिंबाब्वे को दो दिन में और नंबर वन भारत को इस टेस्ट में तीन दिन (बारिश का एक दिन हटाकर) में पराजित कर दिया। 42 रन खर्च करके छह विकेट लेने वाले मैन ऑफ द मैच वनरेन फिलेंडर ने एक पारी में करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उन्होंने मैच में नौ विकेट चटकाए।
दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी 286 रनों पर ऑलआउट हुई थी और उसके बाद भारत की पहली पारी 209 रनों पर ढह गई थी। दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक दक्षिण अफ्रीका ने दूसरी पारी में दो विकेट पर 65 रन बनाए थे। दूसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने दावा किया था कि उनके बल्लेबाज चौथी पारी में 350 रनों तक का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। तीसरे दिन बारिश के कारण मैच नहीं हो सका। सोमवार को भारतीय गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी एक सत्र के अंदर 130 रन के स्कोर पर ढहा दी और भारत को सिर्फ 208 रनों का लक्ष्य मिला, लेकिन पुजारा के दावे के विपरीत उनके बल्लेबाज सिर्फ 135 रनों पर पवेलियन पहुंच गए। हालांकि, इससे पहले न्यूलैंड्स स्टेडियम में 334 रनों का लक्ष्य भी हासिल किया जा चुका है। पहली पारी में 26 रन बनाने वाले पुजारा दूसरी पारी में सिर्फ चार रन बना पाए। कभी किसी टीम ने सीरीज से पहले इतने दावे नहीं किए, लेकिन इस सीरीज से पहले ऐसा हुआ। दक्षिण अफ्रीका जैसे कठिन दौरे से पहले भारतीय कप्तान कोहली ने अभ्यास मैच तक नहीं खेला। जब सवाल उठा तो उन्होंने जवाब दिया कि अभ्यास मैच में सामान्य पिच मिलती हंै तो उस पर खेलने का क्या फायदा। हम अपने हिसाब से अभ्यास करेंगे और खेलेंगे। अगर अपने हिसाब से खेलना यही होता है कप्तान साहब तो निश्चित तौर पर आपको अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि आप अपने हिसाब से अंतिम एकादश चुन रहे हो और अपने हिसाब से खेल रहे हो, लेकिन यह हार भारत को मिली है। निश्चित तौर पर विराट ने जिस तरह केएल राहुल और अजिंक्य रहाणो की जगह शिखर धवन और रोहित शर्मा को खिलाया उसने कोढ़ में खाज का काम किया। ये दोनों बल्लेबाज अपने पुराने इतिहास की तरह विदेशी पिचों पर गेंदों को समझने की कला खोजते नजर आए। वह तो शुक्र रहा कि चोटिल डेल स्टेन दूसरी पारी में गेंदबाजी नहीं कर सके, नहीं तो हालात और भी बद्तर होते।
बेहद घटिया बल्लेबाजी: लक्ष्य का पीछा करने उतरे भारत के ओपनर मुरली विजय को वनरेन फिलेंडर ने पारी के तीसरे ओवर में ही पगबाधा कर दिया, लेकिन उन्होंने रिव्यू लिया जिसमें साफ पता चल रहा था कि गेंद विकेट के ऊपर से जा रही थी। मैदानी अंपायर माइकल गफ को अपने फैसले को बदलने पर मजबूर होना पड़ा। सातवें ओवर में फिलेंडर की ही गेंद पर अंपायर गफ ने विजय को कैच आउट दिया, लेकिन भारतीय बल्लेबाज ने फिर रिव्यू लिया और वह फिर बच गए। विजय (13) और शिखर धवन (16) ने किसी तरह 30 रनों की साङोदारी की। ये दोनों पहली पारी की तरह ही घटिया बल्लेबाजी करते हुए आउट हुए। धवन को तो विदेशी पिचों पर कुछ समझ में ही नहीं आता है, फिर भी वह अंतिम एकादश में हैं। जब लग रहा था कि विकेट कुछ सूख गया है और भारतीय बल्लेबाज मोर्नी मोर्केल व कैगिसो रबादा को आसानी से खेल रहे हैं तो फाफ ने फिलेंडर को दूसरा स्पेल फेंकने के लिए दिया। उन्होंने आते ही कप्तान कोहली (28) और रोहित शर्मा (10) को चलता किया। विराट ने साफ पगबाधा होने के बावजूद रिव्यू लिया, लेकिन कप्तान होने के नाते उन्होंने रिव्यू लेना अपना अधिकार समझा और इसी के साथ भारत का इस पारी का पहला रिव्यू बर्बाद गया। फिलेंडर के सामने शर्मा जी को पता ही नहीं चला कि गेंद कैसे उनका स्टंप उड़ा ले गई। इससे पहले केशव ने रोहित का नौ रन के निजी स्कोर पर कैच भी छोड़ा था, लेकिन वह उसमें एक रन ही जोड़ पाए। पहली पारी में 93 रन बनाने वाले हार्दिक पांड्या (01) को रबादा ने डिविलियर्स के हाथों कैच आउट कराकर काम तमाम कर दिया। इसके बाद रबादा ने साहा को पगबाधा किया। उन्होंने भी रिव्यू लिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद रविचंद्रन अश्विन (37) और भुवनेश्वर कुमार (13) ने कुछ कोशिश की, लेकिन फिलेंडर ने एक ओवर में तीन विकेट लेकर भारतीय पारी ढहा दी।शानदार गेंदबाजी: रविवार को हुई बारिश ने केपटाउन वासियों के साथ भारतीय गेंदबाजों के चेहरे पर खुशी ला दी थी, क्योंकि सोमवार को पिच पर नमी आ गई थी। इसका फायदा उठाते हुए भारतीय गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका के बचे हुए आठ बल्लेबाज सिर्फ 65 रन पर पवेलियन भेज दिए। भारतीय गेंदबाजों को दक्षिण अफ्रीकी पिचों पर बाउंसर, शूटर और 141-142 की स्पीड से ऑफकटर फेंकते हुए विकेट लेते हुए देखना वाकई में सुखद अहसास था। उन्होंने चौथे दिन के पहले सत्र में इसका फायदा उठाते हुए शुरुआती 29 गेंदों में ही दो विकेट ले लिए। इस बार भुवनेश्वर की जगह मुहम्मद शमी ने कमाल किया और दिन के अपने पहले ही ओवर में हाशिम अमला (04) को गली पर खड़े रोहित शर्मा के हाथों कैच आउट कराया। पहली पारी में भी बाहर जाती गेंद को छेड़कर तीन रनों पर आउट होने वाले अमला ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंद को पंच करने के चक्कर में कैच आउट हुए। अंपायर गफ ने उन्हें आउट दे दिया, लेकिन अमला खड़े रहे। अंपायर ने कैच चेक करने के लिए टीवी अंपायर से पूछा, लेकिन रीप्ले में भी साफ नहीं दिखाई दे रहा था। टीवी अंपायर ने भी मैदानी अंपायर के फैसले के साथ जाना उचित समझा। शमी ने अपने दूसरे ओवर में नाइट वॉचमैन कैगिसो रबादा (05) को खूब परेशान किया और उसके अगले ओवर में उन्हें आउट करके ही दम लिया। 65/2 के स्कोर से दिन का खेल शुरू करने वाली मेजबान टीम ने आठ रन जोड़कर ही दो विकेट गंवा दिए।