साभार: भास्कर समाचार
आप संस्थान में आगे बढ़ते हैं तो असुरक्षित कर्मचारियों के लिए डर पैदा कर देते हैं। वे आपकी तरह काम नहीं कर पाते हैं तो परेशान होकर आपकी गलतियां तलाशने लगते हैं। ऐसे में ये याद रखना जरूरी है कि संस्थान में
जिसकी कभी आलोचना नहीं होती वो कभी मैनेजर या चीफ अकाउंटेंट नहीं बनता है। इसलिए इस आलोचना से डरना नहीं चाहिए। फिलॉसफर एल्बर्ट हबर्ट ने कहा है कि "आलोचना हो रही है तो होने दें, बचने के लिए कुछ करें, कुछ कहें और कुछ बनें।' शोध बताते हैं कि तारीफ की बजाय आलोचना को लोग ज्यादा जल्दी सुनते हैं और इसका उनपर असर भी लंबे समय तक रहता है। कई शोध ये भी बताते हैं कि अच्छाई से आलोचना ज्यादा मजबूत होती है। यदि कार्यस्थल पर आलोचना मिल रही है तो इसे सफलता की पहली सीढ़ी ही मानना चाहिए। बॉस आलोचना कर रहे हैं तो इसका मतलब हो सकता है कि वे आपके ऊपर दूसरों से ज्यादा विश्वास करते हैं और आपको औरों से आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि आप किसी भी लेवल पर फेल हों या आपको किसी दूसरे से रिप्लेस करना पड़े। यदि उन्हें ऐसा लगता है कि इस जॉब के लिए आप सही व्यक्ति हैं तो आपको अपनी टीम में बनाए रखने की वे हर संभव कोशिश करते हैं। पर्फॉर्मेंस रिव्यू के दौरान की गई आलोचना भी आपके लिए फायदेमंद साबित होती है। बॉस की गाइडेंस मिलने के साथ काम में सुधार दिखने लगता है और आप अपनी पोजिशन पर पहले से ज्यादा मजबूती के साथ पकड़ बना लेते हैं।