Saturday, January 6, 2018

तीन तलाक विधेयक बजट सत्र तक अटका सूत्रों का दावा- सरकार नहीं लाएगी अध्यादेश

साभार: भास्कर समाचार
जिस तीन तलाक बिल को लोकसभा ने महज साढ़े चार घंटे की बहस में पारित कर दिया, राज्यसभा में उसपर सरकार तीन दिन में भी सहमति नहीं बनवा सकी। बिल में अपराध वाले प्रावधान का विरोध कर रहे 17 विपक्षी
दल और एनडीए की घटक टीडीपी इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की मांग पर अड़ी रही। सत्र के अंतिम दिन भी यह विधेयक कार्य सूची में शामिल था, लेकिन इस पर चर्चा नहीं हुई। सरकार के सूत्रों ने अध्यादेश लाने से इनकार किया है। ऐसे में अब इसे बजट सत्र में फिर से राज्यसभा में पेश करने के अलावा कोई उपाय नहीं है। 
बजट सत्र 29 जनवरी से, बजट एक फरवरी को: बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा। यह 6 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें 10 फरवरी से 4 मार्च तक अवकाश रहेगा। सत्र में 31 बैठकें होंगी। पहले दिन राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा। एक फरवरी को बजट पेश किया जाएगा। तीन तलाक बिल और अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक भी पेश किए जाएंगे। 
18 दलों के विरोध की 3 वजह: 
  1. बिल को आपराधिक बनाने के खिलाफ। तर्क है कि विवाह के मामले फौजदारी अपराध नहीं हो सकते। दुनिया में कहीं भी तलाक ‌देने पर पति को जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। 
  2. तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का विरोध। तर्क है कि यह बेहद कड़ा दंड है। दहेज विरोधी कानून की तरह इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। 
  3. कांग्रेस का सवाल है कि पति जेल जाएगा तो तलाक पीड़िता को वह गुजारा भत्ता क्यों देगा? पीड़िता को बच्चों का भरण-पोषण के लिए सरकार भत्ता दे।