साभार: जागरण समाचार
पाकिस्तान को लेकर अमेरिका का गुस्सा शांत होता नहीं दिख रहा है। वर्ष 2018 के पहले दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को जो धमकी दी थी उस पर अमल करने का सिलसिला जारी है। अब उसने पाकिस्तान को दी
जाने वाली हर तरह की सैन्य मदद रोकने का किया है। इसके तहत 90 करोड़ डॉलर (लगभग 5,700 करोड़ रुपये) की सहायता रोकी जा रही है। यह राशि वर्ष 2017 में पाकिस्तान की तरफ से अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान में की गई मदद के बदले दी जाने वाली थी। 1पिछले मंगलवार को ही ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को विदेशी सैन्य सहयोग के नाम पर 25.5 करोड़ डॉलर की मदद रोकने का किया था। इस तरह से वह अब तक 1.15 अरब डॉलर की मदद रोक चुका है। अमेरिका का यह कदम न सिर्फ पाकिस्तान की माली हालात को और डांवाडोल करेगा, बल्कि सैन्य आधुनिकीकरण को भी बड़ा झटका देगा। पाकिस्तान को इस मद में सालाना एक अरब डॉलर की मदद मिलती है।शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान विदेश मंत्रलय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में अमेरिका से यह भी कहा गया है कि वह अपनी तरफ से कोई समय सीमा तय न करे और न ही बार बार लक्ष्य बदले। इसका अमेरिका और पाकिस्तान के हितों पर उलटा असर भी हो सकता है। इस विज्ञप्ति में आतंकी गतिविधियों के लिए पूरी जिम्मेदारी अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों और वहां की सरकार की निष्क्रियता पर डालने का प्रयास किया गया है।
भारत को उम्मीद, पाक को बचने का मौका नहीं मिलेगा: अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद पर फिलहाल रोक लगा दी है। भारत को भरोसा है कि इस बार यह कदम ज्यादा ठोस होगा और पाकिस्तान को बचने का कोई मौका नहीं दिया जाएगा। भारत ने आधिकारिक रूप से अमेरिकी घोषणा पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है। लेकिन विदेश मंत्रलय के अधिकारी मान रहे हैं कि इस बार अमेरिका का रवैया ज्यादा तार्किक हो सकता है। ऐसे में उम्मीद है कि पाकिस्तान की तरफ से उन आतंकी संगठनों के खिलाफ भी ठोस कार्रवाई हो सकती है, जो भारत के लिए लगातार सिरदर्द पैदा कर रहे हैं। अमेरिका ने गुरुवार को पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने के लिए असली वजह हक्कानी नेटवर्क व अमेरिका को नुकसान पहुंचाने वाले समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होना बताया है। लेकिन जिस तरह से आतंकी संगठनों को लेकर चिंताएं जताई हैं उसको लेकर भारतीय खेमा भी संतुष्ट है।
संयत रहा पाकिस्तान का सुर: अमेरिकी विदेश मंत्रलय की तरफ से गुरुवार को इस घोषणा की अहमियत पाकिस्तान भी समझ रहा है। यही वजह है कि इस बार पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई तल्ख प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है। इसके बदले उसने संयमित भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि वह इस फैसले का अध्ययन कर रहा है। इस बारे में अमेरिकी प्रशासन के साथ भी बात की जा रही है। इसका क्या असर होगा उसके बारे में भी बाद में ही बताया जा सकेगा।
आतंकवाद खत्म करने तक नहीं मिलेगी अमेरिकी मदद: अमेरिकी विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हीदर नॉर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को दी जाने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग फिलहाल रोकी जा रही है। यह मदद तब तक रोकी रखी जाएगी जब तक वह अफगान तालिबानी और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पुख्ता कदम नहीं उठाता है। अगर कानूनी तौर पर बाध्य न हो तो अमेरिका पाकिस्तान को अब कोई सैन्य उपकरण या सेना से जुड़ी कोई राशि का हस्तांतरण नहीं करेगा।
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर डाली जिम्मेदारी: शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान विदेश मंत्रलय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में अमेरिका से यह भी कहा गया है कि वह अपनी तरफ से कोई समय सीमा तय न करे और न ही बार बार लक्ष्य बदले। इसका अमेरिका और पाकिस्तान के हितों पर उलटा असर भी हो सकता है। इस विज्ञप्ति में आतंकी गतिविधियों के लिए पूरी जिम्मेदारी अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों और वहां की सरकार की निष्क्रियता पर डालने का प्रयास किया गया है।