साभार: जागरण समाचार
शहरों में सेक्टरों और औद्योगिक कालोनियों में अब सोलर सिस्टम के नाम पर खानापूर्ति नहीं चलेगी। अब 500 गज से बड़े सभी मकानों और बिल्डिंगों में सौर फोटोवोल्टिक विद्युत संयंत्र लगाने अनिवार्य होंगे और वह
भी लोड के अनुसार। अलग-अलग महकमे मिलकर योजना को लागू कराएंगे और मानकों के अनुसार संयत्र नहीं लगाने वाले भवन मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार नगर निगमों, नगर परिषदों, नगर पालिकाओं, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम के सेक्टरों में स्थित 500 वर्ग गज से बड़े सभी आवासीय भवनों के लिए न्यूनतम एक किलोवाट या कुल भार के पांच फीसद की क्षमता का सौर फोटोवोल्टिक विद्युत संयंत्र लगाना होगा। 30 किलोवाट तक लोड वाले शिक्षण संस्थानों को न्यूनतम पांच किलोवाट और निजी अस्पतालों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, मॉल, होटल, मोटल तथा पर्यटन परिसरों में न्यूनतम किलोवाट का संयंत्र लगाना जरूरी होगा। एक हजार किलोवाट से अधिक लोड होने पर किलोवाट का उपकरण जरूरी है। बिल्डरों अथवा आवास बोर्ड द्वारा आधा से एक एकड़ के भूखंड पर विकसित आवासीय परिसरों में दस, दो एकड़ तक 20, पांच एकड़ तक 30 और इससे बड़े सभी नए आवासीय परिसरों में किलोवाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना होगा। सिंचाई विभाग के के सभी वाटर लिफ्टिंग स्टेशनों में किलोवाट का सौर ऊर्जा उपकरण जरूरी रहेगा। नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग, हुडा, शहरी स्थानीय निकाय, एचएसआइआइडीसी एवं उद्योग विभाग तीन महीने के भीतर अपने नियमों में बदलाव करेंगे। उपायुक्तों एवं मुख्य परियोजना अधिकारी जिला तथा राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।
PPP मोड पर सौर ऊर्जा पंप सेट: तेजी से गिरते भू जल स्तर को रोकने के लिए हरियाणा में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर सौर ऊर्जा पंप सेट लगाए जाएंगे। पिहोवा में सूक्ष्म सिंचाई विधि से प्रति हेक्टेयर फसल उत्पादन में बढ़ोतरी से उत्साहित सरकार ने अब झज्जर के साल्हावास और करनाल के इंद्री ब्लॉक में सौर ऊर्जा ट्यूबवेलों से पानी पहुंचाने की योजना बनाई है। हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (हरेडा) ने पूरे प्रदेश में करीब सौर ऊर्जा पंप लगाने का खाका तैयार कर लिया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में हरेडा के चेयरमैन की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया जो पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी करेगी। कमेटी में नहरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण के प्रमुख अभियंता, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रतिनिधि, बागवानी विभाग के महानिदेशक, बिजली विभाग के अधीक्षक अभियंता (परिसंचालन) तथा हरेडा के अधीक्षक अभियंता शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि म्हारा गांव जगमग गांव योजना के तहत जिन फीडरों पर बिजली आपूर्ति घंटे की गई है उनके कृषि फीडरों पर भी सप्लाई बढ़ाई जाए। सामुदायिक सिंचाई के लिए किसानों की एसोसिएशन बनाई जाएं। जो सोसायटी सूक्ष्म सिंचाई व सौर ऊर्जा पंप सेट अपनाना अनिवार्य कर देगी, उसके लिए आधारभूत ढांचा सरकार उपलब्ध कराएगी। इससे फसलों के अनुरूप पांच या छह पानी के एवज में किसानों को न्यूनतम भुगतान करना होगा। किसान मोबाइल पर एसएमएस से बताएंगे कि उन्हें पानी कब चाहिए।
सूक्ष्म सिंचाई की 14 पायलट परियोजनाओं पर काम: डार्क जोन वाले 36 ब्लॉकों में सूक्ष्म सिंचाई की 14 पायलट परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 15 हजार से अधिक ग्रामीण तालाबों के पानी का इस्तेमाल खेती में करने की योजना है। शुरू में 100 से 200 एकड़ तक का कलस्टर तैयार किया जाएगा। इसके अलावा नहरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण के 61 आउटलेट पर तालाबों के पानी को उपचारित कर खेतों में दिया जाएगा। कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत जोहड़ लिए गए है जिनमें से सात की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार है।
केंद्र से मिले 10 करोड़:
कृषि विभाग के प्रधान ने बताया कि केंद्रीय सिंचाई कार्य क्षमता योजना के तहत प्रदेश को केंद्र सरकार से 400 करोड़ तथा राष्ट्रीय भू-जल प्रबंधन के लिए 700 करोड़ रुपये मिले हैं। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी ने बताया कि पिहोवा में पायलट प्रोजेक्ट पर शुरू सूक्ष्म सिंचाई योजना से धान की पैदावार बढ़ी है।