साभार: भास्कर समाचार
पंजाब के पटियाला जिले के गांव टोहड़ा के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की 10वीं की दलित स्टूडेंट वीरपाल कौर को जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट को नकल करवाना महंगा पड़ गया। गुस्साए जाटों ने जहां उसके घर का पानी
बंद करवा दिया, वहीं स्कूल स्टाफ ने उसे क्लास में अगले बैंच पर बैठने से मना कर दिया। उसकी शिकायत पर राज्य अनुसूचित आयोग ने जांच डीएसपी पटियाला जसकीरत सिंह को सौंप दी है। मंगलवार को स्कूल के प्रिंसिपल समेत सारे स्टाफ ने डीएसपी के पास पेश होकर अपने बयान दर्ज करवाए। हालांकि स्टाफ ने स्टूडेंट के सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। इधर, एससीबीसी इंप्लाइज फेडरेशन पंजाब के डॉ. जतिंदर सिंह मट्टू और आधस के राष्ट्रीय महामंत्री वीर लवली अछूत ने डीएसपी को मिलकर दो टूक कहा है कि अगर वीरपाल को इंसाफ मिला तो सूबे भर के दलित सड़कों पर उतरेंगे। - क्लर्क ने भतीजे दो जाटों को नकल कराने को कहा था
टीचर्स ने अगले बैंच पर बैठने नहीं दिया: वीरपाल के मुताबिक इस घटना के बाद स्कूल स्टाफ लगातार उससे खुन्नस रखने लगा। टीचर्स उसकी जाति के बारे में अपशब्द बोलते हुए उसे अगले मेजों पर नहीं बैठने देते। नवंबर 2017 में उसने यह सारी घटना एक सादे कागज पर लिखकर राज्य अनुसूचित जाति आयोग को भेज दी। अब दो महीने बीतने के बाद आयोग ने इसकी जांच के आदेश जारी किए हैं।
जाटों से दुश्मनी के डर से लोगों ने पानी देना बंद किया - पिता: वीरपाल कौर के पिता हरी सिंह ने बताया कि वो सालों से गांव के जाटों या ब्राह्मणों के घरों से बर्तनों में पानी भरकर लाते हैं। इस घटना के बाद जिनके घरों से वो पानी लाते थे उन्होंने यह कह कर पानी देने से मना कर दिया कि उनका झगड़ा जाटों से है और अगर वो उन्हें पानी देंगे तो इससे उनकी दुश्मनी जाटों से हो जाएगी। हरी सिंह के मुताबिक गांव के पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह जिनका घर उनके घर से काफी दूर है, पानी देने को तैयार हुए वो लगभग 2 महीने तक रेहड़ी पर बर्तन ले जाकर सुरजीत के घर से पानी भरते रहे। एक समाज सेवी को जब इस सारी घटना की जानकारी मिली तो उसने वीरपाल कौर के घर अपने खर्चे से सबमर्सिबल पंप लगवा कर दिया।