मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर सिर्फ 6.5% रहने की उम्मीद है। यह मोदी सरकार के कार्यकाल में सबसे कम ग्रोथ रेट होगी। पिछले साल इकोनॉमी 7.1% बढ़ी थी। विकास दर घटने की मुख्य वजह कृषि और
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का खराब प्रदर्शन है। कृषि विकास दर 4.9% की तुलना में 2.1% और मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 7.9% के मुकाबले सिर्फ 4.6% रहने के आसार हैं। ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी जीवीए में 6.1% वृद्धि की उम्मीद है। यह पिछले साल 6.6% बढ़ा था। जीवीए में टैक्स कलेक्शन जोड़ने पर जीडीपी का आंकड़ा निकलता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को जीडीपी का पहला अनुमान जारी किया, जिसमें ये आंकड़े दिए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी और जुलाई 2017 से लागू जीएसटी का असर है।
रेवेन्यू घटेगा, ज्यादा उधारी से महंगाई बढ़ेगी: आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का मतलब सरकार का रेवेन्यू भी घटेगा। खर्च के लिए ज्यादा रकम उधार लेनी पड़ेगी। पिछले माह 50 हजार करोड़ रु. अतिरिक्त उधारी की घोषणा की गई थी। इससे ब्याज महंगाई दर बढ़ने का खतरा बढ़ेगा।
प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ्तार में कमी होगी: 2016-17 में 1,16,888 रु. थी, 2017-18 में 1,26,349 रु. रहने की उम्मीद है। पिछले साल 9.6% बढ़ोतरी हुई थी, इस साल 8.1% वृद्धि के आसार हैं।