लोकसभा में असहिष्णुता पर बहस की चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कौन असहिष्णु है और कौन सहिष्णु, इसका फैसला देश करेगा। उन्होंने विपक्ष पर देश में असहिष्णुता का बनावटी माहौल खड़ा करने का आरोप लगाते हुए लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों से सरकार के सामने अपनी बात
रखने के लिए आमंत्रित किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कलाकारों और साहित्यकारों से लौटाए गए पुरस्कार वापस लेने का भी अनुरोध किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी देश की समरसता को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसकी खैर नहीं होगी। हालांकि, गृह मंत्री का जवाब सुने बिना ही विपक्ष सदन से वाकआउट कर गया। मुसीबत के समय देश के मार्गदर्शन में साहित्यकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के योगदान का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि उनकी बात सुनने के लिए सरकार हमेशा तैयार है। हालांकि, पुरस्कार वापसी की राजनीति करने वाले लेखकों को आड़े हाथों लेते हुए उन पर जनता के फैसले के प्रति असहिष्णु होने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव से पहले कुछ लेखकों ने नरेंद्र मोदी को हराने की अपील करते हुए उन्हें फासिस्ट करार दिया था।
राजनाथ ने आजादी के बाद असहिष्णुता की तीन घटनाओं का उल्लेख किया, जो कांग्रेस के शासन में हुई थीं। आपातकाल पर कहा कि उस समय वामपंथी विचारधारा के कई लोग प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ खड़े थे और आज सहिष्णुता की बात कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली की सड़कों पर सिखों के कत्लेआम और कश्मीर में पंडितों पर अत्याचार के समय असहिष्णुता की बात करने वाले चुप क्यों थे? भारत को दुनिया का सबसे सहिष्णु देश बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हम किसी दबाव में सहिष्णु नहीं हैं। यह हमारी परंपरा में है। बिखरने नहीं जोड़ने के अवसर खोजने होंगे।
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साभार: जागरण समाचार
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