Sunday, December 27, 2015

पंचायत चुनाव के जरिये जनाधार बनाने में जुटी भाजपा

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने भले ही पार्टी चिह्न पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है, लेकिन पार्टी गांवों में अपना जनाधार बढ़ाने को लेकर गंभीर हो गई है। भाजपा ने पंचायत चुनाव में अघोषित रूप से अपनी विचारधारा के प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति बनाई है। सभी जिला प्रभारी और पार्टी के प्रमुख
नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे जीतने की क्षमता वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करें। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। किसी वार्ड में यदि एक से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं तो उनके बीच एक नाम पर सहमति बनाई जाए, ताकि वोटों का बंटवारा न हो सके। 
भाजपा प्रभारी डॉ. अनिल जैन की ओर से ऐसी हिदायतें मिलने की खबर है। भाजपा पर शहरी पार्टी का लेबल लगा हुआ है। उसके अधिकतर विधायक शहरी विधानसभा क्षेत्रों से जीतकर आए हैं। भाजपा को लग रहा कि पंचायत चुनाव ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाने का सबसे बढ़िया जरिया हो सकता है। लिहाजा पार्टी की विचारधारा वाले लोगों को चुनाव लड़वाया जाए, ताकि जिला परिषद के चेयरमैन बनाते समय भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ हासिल हो सके। 
प्रदेश में पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया 29 दिसंबर तक चलेगी। तब तक भाजपा के नए जिलाध्यक्ष भी घोषित हो जाएंगे। प्रदेश प्रभारियों व प्रमुख कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे ऐसे दावेदारों की लिस्ट तैयार करें, जो सरपंच, ब्लाक समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं तथा उनमें जीतने का माद्दा है। पार्टी पंचायत समिति के सदस्य (पंच) के चुनाव में सामने नहीं आ रही है। इस चुनाव में उसे गुटबाजी के अधिक बढ़ जाने की आशंका है।
भाजपा के रणनीतिकारों के अनुसार यदि 29 दिसंबर तक एक से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपने नामांकन भर भी दिए हैं तो जिलाध्यक्षों पर इसकी जिम्मेदारी होगी कि वे जीतने की क्षमता वाले उम्मीदवार के समर्थन में दूसरे उम्मीदवार को बैठाने का प्रयास करें। भाजपा नेताओं को यह भी विकल्प दिया गया है कि यदि किसी वार्ड में पार्टी के जीतने वाले उम्मीदवार नहीं हैं तो ऐसे समर्थक उम्मीदवार पर अपना हाथ रखें, ताकि बाद में उसे अपने खाते में गिना जा सके। यह प्रक्रिया दूसरे व तीसरे चरण के नामांकन में भी अपनाई जाएगी। भाजपा सरकार के मंत्रियों को भी पंचायत चुनाव पर पैनी निगाह रखने को कहा गया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक में इस पर बाकायदा चर्चा हो चुकी है। 
कांग्रेस का जोर जीतने से अधिक हराने पर: कांग्रेस की रणनीति अपनी विचारधारा के उम्मीदवार जिताने की अपेक्षा भाजपा व इनेलो समर्थित उम्मीदवारों को हराने की अधिक रहेगी। कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। इस गुटबाजी से बचने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे स्थगित कर रखे हैं। अगर किसी वार्ड में कोई कांग्रेसी जीतने की क्षमता में है तो उसे पार्टी समर्थन देगी।
इनेलो का रहा ग्रामीण क्षेत्रों में जनाधार: इनेलो भी हालांकि पार्टी सिंबल पर चुनाव मैदान में नहीं है, लेकिन जिला परिषद के चुनाव को लेकर पार्टी खासी गंभीर दिखाई दे रही है। इस पार्टी का बेस ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता और कार्यकर्ता हैं। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला व इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा जिला परिषद व सरपंच के चुनाव को लेकर प्रमुख नेताओं की ड्यूटी तय करने में जुटे हैं। 
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साभारजागरण समाचार 
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