जितेंद्र सोलंकी - सदस्य,फाइनेंशियल प्लानर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
2014-15 के बजट में धारा 80सी में 50 हजार रु. की अतिरिक्त छूट दी गई थी। अत: 80सी में 1.5 लाख रु. तक की छूट का प्रावधान है। जो लोग उच्च आय समूह में आते हैं, वे इसके लिए और निवेश कर सकते हैं। जल्दबाजी में गलत निवेश करने की बजाय जानें क्या-क्या विकल्प हैं इस 50 हजार रु. की छूट का लाभ लेने के लिए:
- लंबी अवधि के लिए लक्ष्य- इस तरह की छूट मिलने पर सबसे पहले लंबी अवधि के लिए निवेश पर चिंतन करना श्रेयस्कर माना जाता है। पीपीएफ, ईपीएफ, वीपीएफ (वाॅलंट्री पीएफ) और एनपीएस। हालांकि वीपीएफ में निवेश की अधिकतम सीमा है। यह बेसिक सैलेरी और महंगाई भ्ते के बराबर किया जा सकता है। दरअसल निवेश इस तरह का हो जो आपकी रिटायरमेंट की जरूरतों तक को पूरा कर सके। यही लंबी अवधि का निवेश माना जाएगा। इसी प्रकार से एनपीएस में निवेश करने के लिए कुछ बातों की जानकारी होनी चाहिए। पहला इसमें 1.5 लाख रु. तक का निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के अंतर्गत माना जाता है। लेकिन इसी बजट के प्रावधान के अनुसार इसमें 50 हजार रु. तक का निवेश 80सी के अतिरिक्त आयकर छूट में माना जाएगा। इसलिए निवेशक के 60 साल का होने पर उसका निवेश परिपक्व हो पाता है। जिन निवेशकों को रिटायर होने में पांच से दस साल बाकी हैं, वे वीपीएफ में भी समूचा पैसा लगा सकते हैं, ताकि इससे रिटायर होने पर उन्हें पर्याप्त पैसा मिल सके।
- अल्पावधि मध्यम अवधि- यदि लंबी अवधि का निवेश आप कर चुके हैं, तो फिर मध्यम अवधि या अल्पावधि लक्ष्यों पर निवेश करना शुरू करना चाहिए। इसमें टैक्स सेविंग एफडी, ईएलएसएस, एनएससी, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम रहती हैं। इसमें निवेशकों को 80सी में छूट मिल सकती है, लेकिन ये सब विकल्प हर व्यक्ति के लिए सुविधाजनक नहीं हो सकते। निवेशकों को उनकी जरूरत के अनुसार इसे प्लान करना होगा। सीनियर सिटीजन के लिए एससीएसएस एक अच्छा विकल्प जरूर है, लेकिन यह केवल रिटायर्ड लोगों के लिए ही है। जहां तक ईएलएसएस की बात है तो इसमें जोखिम लेने वाले निवेशक ही पैसा लगाएंगे। इसके अलावा दूसरी बात यह है कि एफडी, एनएससी और एससीएसएस से जो ब्याज मिलना है, उस पर निवेशक को आय के अनुसार टैक्स जमा करना होगा। यह उसके रुझान को प्रभावित करता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, इसमें कम से कम तीन साल का लॉक इन पीरियड रहता है। यह सामान्य निवेशक और एचयूएफ दोनों प्रयुक्त कर सकते हैं। इसमें ड़ेढ़ लाख रु. तक यदि निवेश किया जाता है तो वह करयोग्य आय में से काटा जा सकता है।
- बीमा की सुरक्षा- अपनेपरिवार को किसी भी तरह की परेशानी से बचाना भी फाइनेंशियल प्लानिंग में आता है। कई लोग कर लाभ ले पाने की क्षमता के कारण दूसरे विकल्पों में ही एक लाख रुपए की सीमा को खपा देते हैं। यदि उनके पास 50 हजार रु. की छूट का फायदा उठाने का पैसा बचा है तो सबसे पहले परिवार को सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा की सुविधा ली जानी चाहिए। इसमें लग रहे प्रीमियम का क्लेम 80सी में किया जा सकता है। यदि टर्म इंश्योरेंस लिया जाता है तो इस बात की काफी संभावना रहती है कि पूरा 50 हजार रु. इसमें नहीं खपा हो। टर्म इंश्योरेंस एक सस्ता प्रोडक्ट माना जाता है। अच्छी सुरक्षा के लिए 10 हजार रु. तक लगाना भी अच्छा साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में जो पैसा बच रहा है, उसे अल्पावधि वाले विकल्पों में लगाया जा सकता है। ऐसा करते समय यह ध्यान जरूर होना चाहिए कि आप कितना जोखिम वहन कर सकते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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