Saturday, December 26, 2015

लाइफ मैनेजमेंट: समस्याएं बहुत कठिन हों तो मिलकर सुलझाएं

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
शहरों से सीधे जुड़े होने वाले हमारे कई छोटे गांवों की तरह अमेरिका जैसे सर्वाधिक विकसित देश में भी ऐसी जगहें हैं। व्हाइटियर अलास्का के खूबसूरत पर्वतों में बसा एक ऐसा ही उनींदा-सा गांव है। यह मैनार्ड पर्वत के नीचे बनी एंटन एंडरसन मोमोरियल टनल के जरिये दुनिया से जुड़ा है। चार किमी की यह सुरंग उत्तरी अमेरिका की सबसे लंबे दोहरी सड़क रेल लाइन वाली सुरंग है। यह गांव को एंकोरेड के दक्षिण में स्थित सेवार्ड
हाई-वे से जोड़ती है। इस जैसा गांव दुनिया में दूसरा नहीं हो सकता। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हर अाधे घंटे में सुरंग में यातायात की दिशा बदली जाती है। रात 11 बजे से सुबह 5:30 बजे तक सुरंग रखरखाव के कामों के लिए बंद रहती है और गांव शेष विश्व से पूरी तरह कट जाता है। इसके अलावा हर साल यह कस्बा 6 मीटर बर्फ से ढंक जाता है और 95 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवाओं का सामना करता है। व्हाइटियर के ज्यादातर बाशिंदे बंदरगाह पर बोट मैकेनिक के बतौर काम करते हैं, लेकिन कुछ नौकरी की तलाश में गांव से बाहर भी जाते हैं। निर्दयी शीत ऋतु में पूर्णकालिक रोजगार बहुत मुश्किल से मिलता है- दुनिया में तेल की गिरती कीमतों के कारण स्थिति और भी खराब हो रही है। और सिर्फ 218 रहवासियों के साथ यही सबसे कम आबादी वाला इलाका भी है। इस छोटे गांव में सबसे बड़ी समस्या तो बर्फ के ढेर को हटाना है। जिस गांव में छह मीटर तक हिमपात होता हो वहां सड़कों को साफ करना बड़ा कठिन काम होता है। काम के लिए बाहर जाना हमेशा ही दुस्वप्न की तरह होता है। कभी-कभी तो घरों के सामने के दरवाजे खोलना भी असंभव हो जाता है। किराने की छोटी-मोटी चीजें खरीदना भी स्थानीय लोगों के लिए दुस्वप्न की तरह होता है। ऐसे में उन्होंने सामुदायिकता का विचार लाया। वहां एक इमारत है, हॉज़ बिल्डिंग, जिसे 1957 में बनाया गया था और इसमें दो और तीन बेडरूम के 150 अपार्टमेंट हैं। यहां द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अफसरों के लिए कुछ स्टूडियो भी हैं। सैन्य परिवार-सिविल सेवा के कर्मचारियों को इस 14 मंजिला इमारत में लाया गया था। यह इमारत एक दूसरी इमारत से सुरंग के जरिये जुड़ी है, ताकि वहां मौजूद स्कूल में बच्चे ठंड से बचाव के कपड़े पहने बगैर भी जा सकें। 
पुराने होटल जैसा नज़र आता यह ब्लॉक व्हाइटियर ने खरीद लिया और इसे नया नाम दिया 'बेगिच टावर।' स्थानीय तौर पर 'द बिग हाउस' के नाम से मशहूर यह इमारत अब व्हाइटियर के हर बाशिंदे का घर है। इसमें स्थानीय पुलिस विभाग से लेकर स्कूल, इनडोर खेल का मैदान, दो स्टोर, लॉन्ड्री, ब्रेड एंड ब्रेकफास्ट सेंटर, छोटी-मोटी बीमारियों के लिए हैल्थ क्लीनिक और पोस्ट ऑफिस है। ठंड के कहर से बिल्कुल ही पिंड छुड़ाना हो तो टैनिंग बेड भी हैं। इस विचार के पीछे खास बात यह है कि व्यक्तिगत स्तर पर कुदरत के कहर से लड़ने की बजाय, उन्होंने पूरा गांव एक इमारत में लाकर सामुहिक रूप से से मौसम का सामना करने का निर्णय लिया। यह ऐसी जगह है जहां 'गहरी सामुदायिक भावना' और 'अपने पड़ोसी से प्रेम करो' जैसे मुहावरे सच होते नज़र आते हैं। बच्चे चार मिनट से भी कम वक्त में स्कूल पहुंच जाते हैं, रोज की जरूरतें दो मिनट में पूरी हो जाती हैं अौर फायर ब्रिगैड, पुलिस, डाक घर और चिकित्सा केंद्र जैसी अन्य सामाजिक सुविधाएं उसी इमारत में है। चूंकि शीत ऋतु और जापान-थाईलैंड में आने वाले तूफानों का असर यहां समस्याएं पैदा करते हैं तो कुछ बाशिंदे तो तीन माह तक घर के अंदर ही गुजारते हैं। जवाब एक ही है, 'ऐसी बर्फबारी में कौन बाहर कदम रखना चाहेगा?' 

यहां की अर्थव्यवस्था को बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटकों से बल मिलता है, जो स्थानीय बाशिंदों द्वारा लगाई दूरबीनों से व्हेल मछलियों को पानी में उछाल लगाते, पर्वतों पर बकरियों को चरते देखते हैं और समुद्री पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां कई तरह के पक्षियों का अनूठा नज़ारा देखते हैं। 
फंडा यह है कि यदि समस्या सुलझाने के लिए व्यक्तिगत क्षमता से ज्यादा कठिन हो तो साथ मिलकर इसे सुलझाना सबसे अच्छा विकल्प ह। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारभास्कर समाचार 
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